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Ujjain’s History- उज्जैन में इसलिए प्रकट हुए थे महाकाल

देश के 12 ज्योतिर्लिंग में प्रमुख है श्री महाकालेश्वर

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Ujjain's History- उज्जैन में इसलिए प्रकट हुए थे महाकाल

देश के 12 ज्योतिर्लिंग में प्रमुख है श्री महाकालेश्वर

उज्जैन. देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में है। यहां दक्षिणामुखी स्वयभूं ज्योतिर्लिंग है। ग्रंथों में मंदिर का सुंदर वर्णन मिलता है। यहां सालभर में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। सावन के महीने में यहां विशेष आयोजन होते हैं। नगराधिपति महाकाल नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। महाकाल को यहां का क्षेत्राधिपति माना गया है। उज्जैनवासी महाकाल को अपना राजा मानकर ही पूजन करते हैं। महाकालेश्वर मंदिर सर्वप्रथम कब निर्मित हुआ यह ज्ञात नहीं है, लेकिन इसका इतिहास हजारों साल पुराना है। मान्यताओं के अनुसार मंदिर से जुड़ी कई किवदंती भी प्रचलित हैं। जिस कारण यह मंदिर पर्यटकों की सूची में टॉप पर होता है। इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं। पत्रिका की उज्जैन के इतिहास पर आधारित इस खबर में ऐसे कई रोचक तथ्य मिलेंगे।
ऐसी है मंदिर की रचना
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों को दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। महाकालेश्वर मंदिर तीन हिस्सों में विभाजित हैं। ऊपरी हिस्से में नाग चंद्रेश्वर मंदिर है, नीचे ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे नीचे जाकर महाकाल मुख्य ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजित हैं। जहां भगवान शिव के साथ ही गणेशजी, कार्तिकेय और माता पार्वती की मूर्तियों के भी दर्शन होते हैं। इसके साथ ही यहां एक कोटितीर्थ कुंड भी है। यहां का जल ही बाबा महाकाल को चढ़ाया जाता है।
ऐसे प्रकट हुए थे महाकाल
मान्यताओं के अनुसार उज्जैन में महाकाल के प्रकट होने से जुड़ी एक कथा है। दरअसल दूषण नामक असुर से प्रांत के लोगों की रक्षा के लिए महाकाल यहां शिवजी के रूप प्रकट हुए थे। फिर जब दूषण का वध करने के बाद भक्तों ने शिवजी से उज्जैन में ही वास करने की प्रार्थना की तो भगवान शिव महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। इसके बाद यहां मंदिर बना और आज यह भव्य रूप में है।
12 रश्मियों से प्रकट हुए थे ज्योर्तिलिंग
कहा जाता है कि जब सृष्टी का निर्माण हुआ था उस समय सूर्य की पहली 12 रश्मियां धरती पर गिरी। उनसे 12 ज्योर्तिलिंग का बने। उज्जैन महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग भी सूर्य की पहली 12 रश्मियों से ही निर्मित हुआ। तब से बाबा महाकालेश्वर की पूजन उज्जैन में होती हैं। उज्जैन की पूरी भूमि को उसर भूमि कहा जाता है। यानी श्मशान की भूमि। भगवान महाकाल का मुख दक्षिण दिशा की ओर है। इसलिए भी तंत्र क्रियाओं की नजर से महाकाल मंदिर का बेहद खास महत्व है।