
रानी मित्रवृंदा के साथ मंदिर
भगवान श्रीकृष्ण के अधिकांश मंदिरों में उन्हें राधा के साथ विराजित किया जाता है पर जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको एक ऐसे विशेष मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां कृष्णजी अपनी पत्नी रानी मित्रवृंदा के साथ बैठे हैं। यह मंदिर उज्जैन में है जिसमें श्रीकृष्ण और रानी मित्रवृंदा वर-वधू बनकर सिंहासन पर विराजे हैं। दरअसल उज्जैन यानि अवंतिका नगरी केवल शिक्षा स्थली ही नहीं, भगवान कृष्ण की ससुराल भी है। यही कारण है कि यहां उनका रानी मित्रवृंदा के साथ मंदिर बना हुआ है।
उज्जैन में भगवान श्रीकृष्ण का यह अनूठा मंदिर भैरवगढ़ रोड पर है। यहां का कृष्ण वृंदाधाम ऐसा मंदिर है, जहां वे पत्नी मित्रवृंदा के साथ सिंहासन पर आरुढ़ हैं। वे यहां ससुराल में जमाई के रूप में पूजे जाते हैं। संभवत: यह विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है। उज्जैन भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली भी रही है।
कृष्ण वृंदाधाम मंदिर के पुजारी गिरीश गुरु बालक महाराज बताते हैं कि बाद में श्रीकृष्ण यहां के जमाई बन गए। उज्जैन के राजा जयसिंह की पुत्री राजकुमारी मित्रवृंदा का स्वयंवर में श्रीकृष्ण से विवाह हुआ। वे भगवान श्रीकृष्ण की 5वीं पटरानी बनीं थीं।
जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर में विशेष पूजा पाठ की जा रही है। शैव और वैष्णव मतानुसार जन्माष्टमी इस बार 6 और 7 सितंबर को दो दिन मनेगी। शैव मत की जन्माष्टमी 6 को और वैष्णव मत के अनुसार 7 सितंबर को मनेगी। 6 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग में विशिष्ट पूजन विशेष फलदायी होगा। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है।
ससुराल में विशेष शृंगार
मंदिर के बारे में गिरीश गुरु कहते हैं कि इस अनूठे मंदिर की स्थापना संत गुरु बालक ने की। श्रीकृष्ण उज्जैनवासियों के लिए जमाई हैं। ऐसे में गुरुवार को उनके जन्मोत्सव पर नगरवासी उनका विशेष शृंगार करेंगे।
Published on:
06 Sept 2023 10:33 am
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