
university workers can get good news on Monday
उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को जल्द ही स्थाईकर्मी का दर्जा मिल सकता है। मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालय में तीन दिन से जारी हड़ताल को खत्म करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने दो प्रमुख मांग सातवें वेतन मांग और दैवेभो कर्मचारियों को स्थाईकर्मी का दर्जा देने प्रक्रिया को शुरू किया है। इस संबंध में सोमवार को कुछ निर्देश जारी हो सकते है। दरअसल, इन दोनों मांग पर शासन स्तर पर निर्णय हो चुका है, लेकिन विश्वविद्यालय में यह आदेश का अमल नहीं हुआ है। इसी के साथ नियमितिकरण व अन्य मांगों पर जल्द कार्रवाई का आश्वासन देकर हड़लात को खत्म करवाने की कोशिश होगी।
विक्रम विवि में ३१ मार्च से सेमेस्टर परीक्षा शुरू होनी है। आगामी सेमेस्टर परीक्षाओं के ऑनलाइन फार्म जमा होने की तारीख घोषित हो चुके है, लेकिन कई पाठ्यक्रम के पूर्व परीक्षा के रिजल्ट घोषित नहीं हुए है। एेसे में विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के कार्य पर बहिष्कार करने के कारण गोपनीय और परीक्षा विभाग पूरी तरह से ठप हो चुका है। तीन दिन से विद्यार्थियों से संबंधित कार्य नहीं हुए है। शनिवार को भी कर्मचारी एकजुट होकर कैम्पस में बैठे रहे। विवि में करीब १८० दैवेभो कर्मचारी कार्यरत है।
विवि ही उठाएगा वित्तीय भार
शासन ने विश्वविद्यालय में कार्यरत दैवेभो कर्मचारियों को स्थाईकर्मी बनाने का आदेश दिया। इसके लिए करीब ८० कर्मचारियों की सूची बनाई गई। जो उक्त आदेश के तहत पात्र थे। शासन ने निर्देशानुसार स्थाईकर्मी नियम का पालन होने के बाद होने वाले वित्तीय भार विवि प्रशासन को उठाना पड़ेगा। इसी के साथ सातवें वेतनमान के लिए होने वाले वित्तीय भार भी विश्वविद्यालय के खाते में ही डाला जाएगा। बता दे कि विक्रम विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति पहले से खराब है। खुद कर्मचारी संघ भी विवि की आर्थिक हालात पर अपने प्रदर्शन के दौरान चिंता जाहिर कर चुका है। विश्वविद्याल प्रशासन पिछले कई सालों से आय बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन तीन सालों में स्नातक स्तर के बाद विश्वविद्यालय छोडऩे वाले, निजी कॉलेज बंद होने की संख्या में इजाफा हुआ है। इसी के साथ लगातार वित्तीय अनियमिताओं के प्रकरण भी उजागर हुए है। इसमें फर्जी फीस चालान तक शामिल है।
Published on:
11 Mar 2018 12:30 pm
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