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महाकाल में अधिवेशन : देश के केंद्र सहित सभी राज्यों में तीर्थाटन मंत्रालय बनाएं…

धार्मिक स्थल के संरक्षण-विकास के लिए केंद्र सरकार के साथ ही सभी राज्यों में अलग से धार्मिक तीर्थाटन मंत्रालय का निर्माण किया जाए।

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उज्जैन. प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा नदी पर विकास के नाम पर बांध बनाया गया है। नतीजतन ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र में नदी विलुप्त सी हो गई है। वर्षाकाल को छोड़कर नदी में पानी ही नहीं रहता है। नर्मदा को विलुप्ता से बचाएं, बंधन को खोला जाए। इसके लिए शासन को नीति बनानी होगी। धार्मिक स्थल के संरक्षण-विकास के लिए केंद्र सरकार के साथ ही सभी राज्यों में अलग से धार्मिक तीर्थाटन मंत्रालय का निर्माण किया जाए।

महाकाल प्रवचन हॉल में आयोजित अधिवेशन

यह प्रस्ताव शनिवार को धर्म यात्रा महासंघ एवं तीर्थ पुरोहित महासंघ के २३वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में ध्वनिमत से पारित किए गए। महाकाल प्रवचन हॉल में आयोजित अधिवेशन में देशभर से 200 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। अधिवेशन में मुख्य तीन बिंदुओं पर प्रस्ताव पारित किए गए। इसमें केंद्र सरकार तथा भारत की सभी राज्य सरकार राज्यों में तीर्थों की व्यवस्था, उनका विकास एवं पर्यटन के लिए अलग से तीर्थाटन मंत्रालय बनाएं तथा मध्यप्रदेश में नर्मदा बांध सरोवर के ओंकारेश्वर के बांध के कारण जो नर्मदा नदी की धारा विलुप्त हुई उसे पुन: अविरल कराने और ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में नर्मदा का प्रवाहमान वाला पुराना स्वरूप लौटाने के लिए पानी छोडऩे की नीति तैयार करने, उज्जैन में नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना के तहत शिप्रा में वर्षा ऋतु को छोड़ 8 माह नर्मदा का पानी प्रवाहमान करने के लिए लिंक योजना को सत्त चालू रखने की मांग के प्रस्तावों को परित किया गया है। प्रस्ताव तीर्थ पुरोहित महासंघ तथा धर्मयात्रा महासंघ की बैठक में राष्ट्रीय मंत्री सुरेंद्र चतुर्वेदी की ओर से प्रस्तुत किए गए और तीनों को ध्वनिमत से मंजूर किया गया। पुरोहित मध्य भारत प्रांताध्यक्ष मनीष उपाध्याय ने बताया कि धर्मयात्रा महासंघ तथा तीर्थ पुरोहित महासंघ के पारित प्रस्ताव को केंद्र सरकार तथा सभी राज्य सरकार को भेजे जाएंगे।
अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री राजेंद्र पंकज, तीर्थ पुरोहित महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनंत दत्तात्रेय जोशी, धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक सुनील शर्मा तथा केंद्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष माखन सिंह चौहान ने संबोधित किया। इस अवसर पर गुजरात से हर्षद भाई पंड्या, हरिओम शर्मा, छत्तीसगढ़ से बैजनाम मिश्रा, पश्चिम उत्तरप्रदेश से लखन लाल, दक्षिण बिहार से अरुणकुमार, मध्य भारत से गोविंदसिंह बघेल, मालवा से अशोक कोटवानी, उत्तर बिहार से शिवशंकर चौधरी, काशी प्रांत से अमित पांडे, जम्मू कश्मीर से जगदीश शर्मा, दिल्ली से प्रमोद अग्रवाल, राजस्थान से सत्यनारायण शर्मा, उत्तराखंड से रवीन्द्र गोयल शामिल हुए। स्वागत अशोक कोटवानी, मनीष उपाध्याय, राहुल व्यास, गणेश पुजारी, जीवनलाल दिसावल, नारायण उपाध्याय धर्माधिकारी, उत्तम दुबे, कपिल शर्मा , राजेंद्र शर्मा, तुषार जोशी, यश जोशी, गौरव उपाध्याय, हेमंत शास्त्री, सोनू गुरु , अरविंद उपाध्याय,अभिजीत दुबे, मयूर दुबे, हेमंत उपाध्याय आदि ने किया। अवंतिका तीर्थ पुरोहितों ने पं. लोकेंद्र व्यास के नेतृत्व में स्वस्ति वाचन किया। संचालन रजनी कोटवानी ने किया। आभार राहुल व्यास ने माना।

श्रीकृष्ण की उज्जैन यात्रा पर मंथन
धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय मंत्री पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि अधिवेशन का समापन रविवार को होगा। इस अवसर पर शिक्षा हासिल करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के मथुरा से उज्जैन आगमन के मार्ग पर मंथन किया जाएगा। धर्मचार्यों, ज्योतिषाचार्यों और इतिहासकारों से चर्चा का प्रमाण जुटाने के बाद श्रीकृष्ण के उज्जैन आगमन के प्रमाणिक मार्ग पर प्रतिवर्ष धर्मयात्रा महासंघ एवं तीर्थ पुरोहित महासंघ की ओर यात्रा के आयोजन का प्रस्ताव धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक सुनील शर्मा की ओर से रखा जाएगा। समापन सत्र में संगठनात्मक चर्चा होगी। संगठन को विस्तार एवं गति देने पर विचार किया जाएगा। आगामी वर्ष के समस्त संगठनात्मक कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की जाएगी।