
संचालक कंपनी ने खींचे पीछे कदम, सिंहस्थ मेला कार्यालय में स्थापित सेंटर कुछ ही माह पहले शुरू हुआ था, संचालक कंपनी ने हटाया स्टॉफ, मुख्य द्वार पर डले ताले, शहर को आधुनिकताओं से जोडऩे के दावों पर पलीता
उज्जैन. स्मार्ट सिटी अंतर्गत १२ करोड़ से बना इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम कई दिनों से बंद है। इससे जुड़े ऑपरेशन शुरू करने में देरी, जिम्मेदारों की अनदेखी से ये सौगात संकट में पड़ गई है। जिस कंपनी ने इसके संचालन का ठेका लिया है, उसने अपना पूरा तकनीेकी स्टॉफ यहां से हटा लिया और सेंटर पर ताला डाल दिया। स्मार्ट सिटी के इस प्रोजेक्ट को लेकर शहर को जो सब्जबाग दिखाए गए थे, उन पर अनदेखी के वायरस छा गए हैं। कंपनी से बेहतर काम कराने स्मार्ट सिटी अधिकारियों ने भी जरूरी पहल नहीं की।
भोपाल स्तर से इस प्रोजेक्ट को लेकर टेंडर हुआ था। प्रदेश की ५ स्मार्ट सिटी में ये सेंटर खोलकर इनसे कई आधुनिक ऑपरेशन शुरू होने थे लेकिन उज्जैन में तो कुछ ही महीनों में ये सेंटर संकट में आ गया। संचालक एचपी कंपनी लिमिटेड गुडग़ांव ने यहां रखा स्टॉफ हटा लिया। इसके कारण न तो इसका कोई उपयोग हो रहा और न ही आगामी प्लानिंग पर कोई काम चल रहा। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि शहर से जुड़े दो प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है और कंट्रोल रूम चालू हैं।
कंपनी को 5 करोड़ का हो चुका भुगतान
स्मार्ट सिटी मुख्यालय से संबंधित शहरों के लिए ४० करोड़ रुपए में कमांड कंट्रोल रूम प्रोजेक्ट बनाया गया था। एचपी कंपनी ने भी सभी जगह का संचालन अपने हाथ लिया है। उज्जैन के सेंटर के लिए कंपनी को ५ करोड़ का भुगतान स्मार्ट सिटी लिमिटेड उज्जैन से हुआ है। इतनी राशि मिलने के बावजूद अब कंपनी ने बगैर किसी पूर्व सूचना काम बंद कर स्टॉफ हटा लिया। लिहाजा अब स्मार्ट सिटी अधिकारी एचपी कंपनी को नोटिस देने की भी तैयारी कर रहे है।
इस तरह की प्लानिंग के लिए खोला सेंटर
- विभिन्न शासकीय विभाग में होने वाले काम को कम्प्यूटराइज्ड करने इ एप्लीकेशन, नए सॉफ्टवेयर बनाने का काम, जिससे शहर में सभी सेवाएं बेहतर हो।
- इ नगर पालिका सिस्टम को नए रूप में विकसित कर सभी जोन के कामकाज को पेपर लेस करना।
- शहर के ट्रैफिक सिंग्नल को आधुनिक कर यहां हाइ क्वालिटी सीसीटीवी कैमरे लगाकर पूरा कमांड इस कंट्रोल रूम से होना है। इसे इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम नाम दिया है।
- यदि कोई सिग्नल तोड़कर या यातायात नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके वाहन की ट्रैकिंग कर चालान सीधे वाहन मालिक के घर भेजना।
- वीकल ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम भी विकसित होना है। ताकि निगम के शासकीय वाहन, कचरा वाहन सहित फील्ड वाले सरकारी वाहनों को जीपीएस से जोड़कर सेंटर से निगरानी रखी जा सकें।
- इसके अलावा शहर से जुड़ी अन्य शासकीय सेवाओं व जरूरी सिस्टम को कंट्रोल रूम के जरिए निगरानी करना।
इनका कहना -
सेंटर पर प्रोजेक्ट के काम चल रहे हैं। कोई दिक्कत नहीं। संचालक कंपनी को लेकर जो कुछ बात है उसे भी दूर कराएंगे। अभी कई ऑपरेशन शुरू ही नहीं हुए, इस कारण भी कंट्रोल रूम का पूरा उपयोग जरूरी नहीं।
प्रदीप जैन, सीइओ, स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड, उज्जैन
Published on:
11 Oct 2019 08:00 am
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