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बड़ा बयान: क्रांतिकारी संत बोले, वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड को हम नहीं मानते…

Saint Awadheshpuri Maharaj Ujjain: महाराज ने उज्जैन में कन्नड़ लेखक केएस भगवान पर तंज कसते हुए कहा कि हम वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड को नहीं मानते, मुगलों के शासन काल में हमारे शास्त्रों के साथ छेड़-छाड़ हुई।

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भगवान राम व मां सीता को लेकर कर्नाटक के प्रोफेसर केएस भगवान (Kannada Writer KS Bhagwan) द्वारा हाल ही में वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड (valmiki ramayana uttarkand) का हवाला देते हुए की गई (lord ram) टिप्पणी के मामले में उज्जैन में क्रांतिकारी संत अवधेशपुरी महाराज (Sant Awadheshpuri Maharaj) ने प्रोफेसर पर तंज कसा है।

उन्होंने कहा है कि केएस भगवान जैसे हजारों लेखक इस धरती पर आएंगे और जाएंगे, लेकिन भगवान श्रीराम हमारे आदर्श थे, हैं और रहेंगे। उनके प्रति सनातन की श्रद्धा सूर्य, चांद के रहने तक रहेगी। साथ ही संत अवधेश पूरी ने कहा हम (valmiki ramayana uttarkand) वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड को नहीं मानते।

ऐसे समझें पूरा मामला
दरअसल कर्नाटक के लेखक और रेशनलिस्ट प्रोफेसर के एस भगवान ने कर्नाटक राज्य के मंड्या जिले में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भगवान राम दोपहर के वक्त अपनी पत्नी सीता के साथ बैठकर शराब पीते थे।

उन्होंने दावा किया कि ये उनकी कल्पना नहीं बल्कि रामायण के उत्तर कांड (valmiki ramayana uttarkand) में इस बात का उल्लेख है और उसी को लेकर उज्जैन के क्रांतिकारी संत डॉ अवधेश पूरी (Sant Awadheshpuri Maharaj) ने तंज कसा। हालांकि प्रोफेसर वर्ष 2019 में उनके द्वारा लिखी एक किताब "राम मंदिर क्यों नहीं चाहिए" को लेकर सुर्खियों में आए थे। जिसमें भगवान राम को शराबी बताया गया था।

आस्था के साथ खिलवाड़: नहीं मानते वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड को
संत अवधेश पूरी (Sant Awadheshpuri Maharaj) ने ये भी कहा कि कन्नड़ लेखक केएस भगवान द्वारा भगवान राम पर दिया गया आपत्तिजनक बयान न केवल निंदनीय है, बल्कि हिन्दू की आस्था के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। उन्होनें (Sant Awadheshpuri Maharaj) कहा कि ये लेखक जो वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड (valmiki ramayana uttarkand) की बात कर रहे हैं, उदाहरण दे रहे हैं, पहले तो हम हिंदू लोग मानते ही नहीं है उत्तर कांड (uttarkand) को।

दूसरा यह कि मुगलों के शासन काल में हमारे शास्त्रों के साथ जो छेड़- छाड़ हुई। उसमें ये कुछ शब्द जोड़ दिए गए हैं। महाराज ने कहा "समरथ को नहीं दोष गुसाईं रवि पावक सुर सर की नाई" समर्थ को दोष नहीं दीजिए राज उचित व्यवस्था में राज व्यवस्था में उस वक्त कोई परिस्थिति रही होगी।

उनके अनुसार क्या राज्य व क्या राजा की व्यवस्था होगी। हम उसमें जाना नहीं चाहते, बस इतना ही मानते हैं कि भगवान श्री राम के प्रति आस्था जो थी है वो आगे भी रहेगी, कोई हिंदुओं की भावनाओं के साथ हिंदुओ की आस्था के साथ दुस्सहास करने का कार्य ना करें।