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जेड प्लस सुरक्षा में गोलियों से भी नहीं भेद सकते 36 कमांडो का घेरा

उज्जैन के विधायक और एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनने के बाद जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। जेड प्लस सुरक्षा घेरा तोड़ना नामुमकिन है। इसके तहत बगैर अनुमति सीएम तक पहुंचना ही असंभव सा कार्य है। परिवार के सदस्यों को भी इस घेरे में बगैर अनुमति के प्रवेश नहीं दिया जा सकता।

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जेड प्लस सुरक्षा घेरा तोड़ना नामुमकिन

उज्जैन के विधायक और एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनने के बाद जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। जेड प्लस सुरक्षा घेरा तोड़ना नामुमकिन है। इसके तहत बगैर अनुमति सीएम तक पहुंचना ही असंभव सा कार्य है। परिवार के सदस्यों को भी इस घेरे में बगैर अनुमति के प्रवेश नहीं दिया जा सकता।

इस तरह की सुरक्षा बड़े राजनेताओं और अधिकारियों को ही दी जाती है। देश में इस समय 4 तरह की सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई जा रही है। इनमें एक्स, वाय और जेड के अलावा जेड प्लस सुरक्षा है। इनमें सबसे बड़ी सुरक्षा जेड प्लस होती है। ज्यादातर केंद्र सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री, न्यायाधीश, मशहूर राजनेता और बड़े ब्यूरोक्रेट्स को यह सुरक्षा दी जाती है।

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जानिए कैसे होते हैं चारों सुरक्षा चक्र

1. एक्स कैटेगरी
यह एक बेसिक प्रोटेक्शन है, जो छोटे नेताओं या अभिनेताओं को दी जा सकती है। एक्स सिक्योरिटी में दो सुरक्षाकर्मी होते हैं, जिनमें कंमाडो शामिल नहीं होते। इसमें पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर शामिल हो सकता है। देश के 65 से ज्यादा लोगों को इस कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है।

2. वाय कैटेगरी
वीआइपी लोगों को दी जाती है। सुरक्षा के लिए 11 सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं, जिसमें 1 या कभी-कभी 2 कंमाडो और 2 पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर शामिल होते हैं।

3. जेड कैटेगरी
इसमें 22 सुरक्षाकर्मी रहते हैं, जिसमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के 4 या 5 कमांडर हो सकते हैं। यह सुरक्षा दिल्ली पुलिस या सीआरपीएफ मुहैया कराती है। इसमें एस्कॉर्ट कार भी होती है। कमांडो के पास मशीन गन और आधुनिक संचार साधन रहते हैं। कमांडो मार्शल आर्ट में इतनी महारत रखते हैं कि बगैर हथियार के दर्जनों लोगों पर भारी पड़ते हैं।

4. जेड प्लस कैटेगरी
यह सिक्योरिटी केंद्र सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के न्यायाधीश, मशहूर राजनेता व बड़े ब्यूरोक्रेट्स को मुहैया कराई जाती है। 36 कमांडो तैनात होते हैं। 10 कमांडो एनएसजी के होते हैं, जो हथियारों के साथ सूटकेस लिए होते हैं। आपातकालीन समय में सूटकेस के खुलते ही वीवीआइपी के सामने एक बुलेटप्रूफ दीवार खड़ी हो जाती है, जिसे गोलियों से भी नहीं भेदा जा सकता।

इसमें तीन घेरे में सुरक्षा की जाती है। पहले घेरे में एनएसजी सुरक्षा करती है। इसके बाद एसपीजी के अधिकारी तैनात रहते हैं। इसके साथ आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान सुरक्षा करते हैं। यह सुरक्षा सीएम डॉ. मोहन यादव को दी है। इसके पहले पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान को भी जेड प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी।

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