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उज्जैन. चैत्र माह की दशमी पर सोमवार को महिलाओं ने घर-परिवार की खुशहाली के लिए दशामाता का पूजन किया। पीपल के नीचे माता की पूजा-अर्चना के बाद व्रत करने के साथ सूत की वेल धारण कर परिवार की दशा सुधारने की प्रार्थना की।
व्रत करने का विधान
हिंदू धर्म में दशा माता की पूजा तथा व्रत करने का विधान है। सुख व समृद्घि की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं ने पीपल के पेड़ की पूजा कर माताजी को आटे से बने आभूषण अर्पित किए। गीत गाते हुए पीपल की परिक्रमा कर सूत के धागे को पीपल के चारों ओर लपेटा।
गले में धारण किया धागा
माताजी को भोग लगाकर गले में वेल (धागा) धारण किया। चावल, लप्सी, कड़ी का माताजी को भोग लगाकर ग्रहण किया। कुछ महिलाओं ने रविवार को दशमी मानते हुए विधि-विधान से माता का पूजन किया। मान्यता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है, तब उसके सब कार्य अनुकूल होते हैं किंतु जब यह प्रतिकूल या खराब होती है तब अत्यधिक परेशानी होती है। इसी दशा को दशा भगवती या दशा माता कहा जाता है। घर-परिवार की दशा अच्छी होने के साथ खुशहाली बनी रहे, इसके लिए दशा माता की पूजा तथा व्रत करने का विधान है। पूजन करने से दशा माता प्रसन्न होती है तथा हर मनोकामना पूरी करती है।
नागदा में भी किया दशा माता का पूजन
नागदा. शहर केे माता मंदिरों पर रविवार को महिलाओं ने दशामाता पूजन किया। इस वर्षदशमी की तिथि को लेकर विरोधाभास देखा जा रहा है। कुछ महिलाएं सोमवार को दशामाता का पूजन कर रही हैं। तिथि के अनुसार सोमवार को दशामाता पूजन है, लेकिन दिन के अनुसार रविवार को दशा पूजन हुआ।
यह पर्व होली के दस दिन बाद
यह पर्व होली दहन के 10 दिन बाद आता है। इस दिन महिलांए माता व पिपल के वृक्ष का पूजन करती है।शहर में दशहरा मैदान स्थित शीतलामाता मंदिर , बस स्टैंड, जवहार मार्ग शीतलामाता चौक, बिरलाग्राम स्थित बड़ा गणपति मंदिर परिसर, गर्वेमेंट कॉलोनी, मेहतवास आदि स्थानों पर पूजन हुआ।
Published on:
12 Mar 2018 12:57 pm
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