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आदि शंकराचार्य ने दिया एकता का मंत्र

एकात्म यात्रा का पाली व नौरोजाबाद में भव्य स्वागत

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Adi Shankaracharya gave the mantra of unity

Adi Shankaracharya gave the mantra of unity

उमरिया. भारतीय अस्मिता और राष्ट्रीय चेतना के आधार स्तंभ, सांस्कृतिक एकता और मानव मातृ में एकात्मकता के उद्घोषक तथा अद्वैतवाद के अजेय योद्धा आदि शंकराचार्य में मां नर्मदा के तट पर दिव्य ज्ञान प्राप्त किया। चमत्कार की तरह लगता है कि सुदूर केरल से आठ वर्ष का बाल सन्यासी 1200 वर्ष पूर्व 2000 किमी की पद यात्रा कर गुरू की खोज में गुरू गोविंदपाद के आश्रम में पहुंचा और केवल चार वर्ष में ब्रम्ह ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात उप निषदों, ब्रम्ह्सूत्र एवं गीता पर भाग्य लिखा। यह बात संत बसंत गाडगिल ने पाली एवं नौरोजाबाद में आयोजित एकात्म यात्रा के जन संवाद कार्यक्रम में उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर कलेक्टर माल सिंह, पुलिस अधीक्षक डॉ. असित यादव, कोल समिति के समस्त सदस्य सहित बडी संख्या में नागरिक, महिलाएं, बच्चे एवं समस्त वर्गो के लोग उपस्थित रहे।
गाडगिल ने कहा कि आदि शंकराचार्य भगवान के अवतार थे और राष्ट्रीय एकात्मकता यात्रा कर समरसता, एकता एवं अखण्डता का जो संदेश दिया है। वह स्मर्णीय रहेगा। उन्होने कहा कि पुरूष भगवान एवं महिलाएं देवता है। वेद ग्रंथ, उपनिषद 18 पुराण एवं अन्य ग्रंथ जिस राष्ट्र के नागरिकों में समाया हो वह सदैव सुरक्षित रहेगा। उन्होने कहा कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई कोई भी धर्म हो वह वंदनीय है, वेद भगवान है ऐसी शिक्षा शंकराचार्य ने दी है। साथ ही समानता, समरसता एवं एकता के सूत्र में पिरोने का मंत्र दिया था। हृदय के मंदिर में विश्व कल्याण की भावना जागती रहे। हृदय में परमेश्वर का वास है। धर्म, संस्कृति, सदाचार सबसे उपर है। गाडगिल ने कहा कि आजादी के 70 वर्ष का पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है जिन्होंने संसद को मंदिर मानकर माथा टेका है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत के इतिहास में एक ऐसे मुख्यमंत्री है जिन्होंने एकात्म यात्रा शुरू किया है। एकात्म यात्रा के अवसर पर केशवानंद ने कहा कि सबमे एक ही परात्मा विद्यमान है। सेवा का भाव रखें और समाज में प्रेम बनाये रखे। इच्छाओं की पूर्ति के लिए द्वेष, शोषण एवं भेदभाव नही करें। उन्होंने कहा कि देश भक्त वह है, जो उन्नति, प्रगति एवं देश को आगे बढ़ाने के लिए बिना भेदभाव के कार्य करे। एकता की अनुभूति अंदर से दिखनी चाहिए। कला बढाने से सुख नही मिलता। संघर्ष से विनाश होता है। उन्होने कहा कि अशांति में सुख नही मिलता। भौतिक सुख के लिए अपराध बढते है और लोगों में द्वेष ईष्र्या बढता है जबकि अध्यात्म आनंद को बढाता है। जिले में एकात्म यात्रा विविधता में एकता का संदेश जन जन को पहुंचा रही है, इसके लिए जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों तथा नागरिकों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में मीना सिंह ने एकात्म यात्रा में आए संतों का स्वागत किया और नागरिकों के प्रति आभार जताया है। इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र जामदार ने स्वामी शंकराचार्य के विशाल चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि छोटी सी उम्र में जो कर दिखाया है वह बेमिशाल है। एकात्म मानव दर्षन के लिए मेरा, तेरा कोई नही है बल्कि सब एक है।