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प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण के दौरान किसानों को दी गई बीजामृत व जीवामृत की जानकारी

कृषक सुविधा केन्द्र अमड़ी में प्रशिक्षण का आयोजन

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Information about Beejamrit and Jeevamrit given to farmers during natural agriculture training

Information about Beejamrit and Jeevamrit given to farmers during natural agriculture training

करकेली जनपद अंतर्गत ग्राम अमडी के कृषक सुविधा केन्द्र में कृषि विज्ञान केंद्र उमरिया द्वारा दो दिवसीय प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में स्थानीय सहयोग सामाजिक संस्था विकास संवाद ने किया। प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्र उमरिया के वैज्ञानिकों द्वारा बीज तैयार करने, भूमि उपचार, बीज उपचार, अंतर्वर्ती फसल, मिश्रित फसल, बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत, ब्रह्मास्त्र, अग्नियास्त्र एवं दशपर्णी अर्क तैयार करने के बारे में विस्तार से बताया गया।

प्रशिक्षण में करकेली जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम कृषि अमडी, खैरा एवं मगरघरा के प्राकृतिक कृषि शामिल हुए। विज्ञान केंद्र उमरिया एवं विकास संवाद समिति के प्रयास से किसान प्राकृतिक कृषि की ओर बढ़ रहे हैं। किसान रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशी को छोड़, प्राकृतिक खाद एवं कीटनाशक तैयार कर अपने खेतों में उपयोग कर रहे हैं। प्रशिक्षण में 40 किसान शामिल हुए। प्रशिक्षण को सहा. कृषि वैज्ञानिक कुंदन मुवेले ने संबोधित किया। प्रशिक्षण का संचालन विकास संवाद के क्लस्टर समन्वयक जितेन्द्र गौतम ने किया। कुंदन मुवेले ने रबी फसल के विभिन्न बीमारियों एवं कीट प्रकोपों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बीमारियों एवं उनके नियंत्रण के लिए बीज उपचार, भूमि उपचार के साथ गेंदा, धनिया जैसी फसल बोने की बात कही। उन्होंने मिश्रित बोनी कीट नियंत्रण का कारगर तरीका बताया। उन्होंने बीजामृत एवं जीवामृत के बनाने की विधि एवं उपयोग पर विस्तार से प्रकाश डाला।

प्राकृतिक खेती के फायदे के विषय को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने खेती के लिए लाभदायक जीव जंतुओं के बारे में विस्तार से बताते हुए प्राकृतिक खेती के अंतर्गत कीट प्रबंधन के परंपरागत तरीकों के वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षण में निबौली, दशपर्णी अर्क, ब्रह्मास्त्र के साथ-साथ छाछ के विभिन्न उपयोगों के बारे में भी बताया गया। प्रशिक्षण को सफल बनाने में किसान अमर सिंह, रामखेलावन सिंह, गोपाली बैगा, भोजा बैगा, फूलबाई बैगा, दुखिया बाई बैगा, मुन्नी बाई रैदास के साथ साथ सामुदायिक कार्यकर्ता सतमी बाई बैगा एवं बलराम महार का विशेष सहयोग रहा।