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पीआईयू का कारनामा: 32 करोड़ के भवन में अभी से पड़ने लगी दरारें, खेल सुविधाओं से वंचित हैं छात्राएं

बाउण्ड्रीवाल निर्माण में लापरवाही, छात्राओं की सुरक्षा की भी अनदेखी

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PIU's feat: Cracks have already started falling in the building worth 32 crores, girl students are deprived of sports facilities

PIU's feat: Cracks have already started falling in the building worth 32 crores, girl students are deprived of sports facilities

उमरिया. जिले में शासकीय राशि के दुरुपयोग व निर्माण में मनमानी के मामले में पीआईयू ने सारी हदें पार कर दी है। मामला 32 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित आदिवासी कन्या शिक्षा परिसर का है। यहां बीते दो सालों से आदिवासी छात्राओं के लिए आरक्षित आवासीय विद्यालय संचालित हो रहा है।
सर्व सुविधा सम्पन्न इस विद्या के मंदिर के निर्माण में निर्माण एजेंसी और ठेकेदार ने इस कदर लापरवाही बरती है कि तीन-तीन प्लेग्राउंड होने के बावजूद आदिवासी कन्याएं खेल की सुविधा से महरूम है। स्टेडियम में झाड़ झंखाड़ उग आए हैं। बास्केटबॉल और बालीबाल ग्राउंड में निर्माण के तीन साल पूरा होने के बाद भी आवश्यक पोल और नेट नहीं लगाए जा सके हैं। वहीं निर्मित भवन में कई जगह से दरारें आ चुकी है। दरारों को छिपाने के लिए जिम्मेदार विभाग ने सीमेंट का घोल चढ़ा दिया है। भूतल के कई कमरों में सीपेज की समस्या है। सबसे हैरान कर देने वाला मामला कन्या शिक्षा परिसर की बाउंड्री बाल का है। निर्माण एजेंसी ने बाउंड्रीवाल ऐसी बनाई है कि कोई उसे खड़े खड़े लांघ सकता है।
ऐसे में छात्रावास में रह रही छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कन्या शिक्षा परिसर जिला मुख्यालय से पांच से छह किमी दूर एकांत में बनाया गया है। यहां पंहुचने के लिए मुख्य मार्ग से तकरीबन एक किमी तक मार्ग ही नही हैं। पगडंडियों और ऊबडख़ाबड़ रास्तों से विद्यालय का स्टाफ , छात्राएं और अभिवावक स्कूल पंहुचते हैं। बारिश में तो कन्या शिक्षा परिसर तक आवागमन ही बंद हो जाता है।
विद्यालय में कोई बालिका बीमार पड़ जाए तो एम्बुलेंस भी खराब रास्ता होने के कारण नहीं आती है। राज्य सरकार ने जवाहर नवोदय विद्यालय की तर्ज पर सभी जिलों में सर्वसुविधा सम्पन्न आवासीय आदिवासी कन्या शिक्षा परिसर की योजना संचालित की है। जिससे यहां एक ही परिसर में जनजातीय समुदाय की बालिकाओं को आवास और अध्ययन की सुविधा मिल सके। निर्माण एजेंसी पीआईयू के अधिकारियों की लापरवाही से सरकार का सपना महज सपना बनकर रह गया है। कहने को तो 490 सीटर इस आवासीय विद्यालय में 467 बालिकाएं अध्ययन कर रही हैं लेकिन खेल, सुरक्षा और पंहुचमार्ग जैसी कई सुविधाओ से यहां की छात्राएं निर्माण एजेंसी की लापरवाही से मरहूम है।
विद्यालय प्रबंधन ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों को सुविधाएं बहाल करने, बाउंड्रीवाल की ऊंचाई बढ़ाने के लिए पत्राचार किया लेकिन अब तक प्रबंधन के पत्राचार को तवज्जो नहीं दिया गया। कलेक्टर ने मामला संज्ञान में आने के बाद आवासीय कन्या शिक्षा परिसर में आवश्यक सुविधाएं बहाल करने के निर्देश दिए हैं। पीआईयू द्वारा बरती जा रही लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है। यहां के अधिकारी पूर्व में लापरवाही के चलते निलंबित भी हो चुके हैं। इसके बाद भी वह सरकारी राशि का दुरुपयोग करने में सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने में जिम्मेदार बाज नहीं आ रहे हैं।