फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे प्रभारी प्राचार्य को न्यायालय ने सुनाई पांच साल की सजा
दो साल में ही हासिल कर ली थी बीएससी, बीएड और एमए की डिग्री
फर्जी अंकसूची से नौकरी हासिल करने के मामले में जिला अपर सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार चौधरी की कोर्ट ने आरोपी को 7 अक्टूबर को धारा 420, 467, 468 और 471 में पांच साल की सजा सुनाई एवं 3-3 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है। मामले में 9 वर्ष बाद कोर्ट का फैसला आया है। जिले के ग्राम चिल्हारी निवासी अमलेश्वर नाथ द्विवेदी पुत्र संपत द्विवेदी की शिक्षाकर्मी वर्ग 1 के पद पर वर्ष 1998 में नियुक्ति हुई थी। वर्ष 1998 में ही उमरिया जिला बनने के बाद अपना स्थानांतरण अमरपुर हायर सेकेण्डरी स्कूल करवा लिया। फर्जी डिग्री के आधार पर पदोन्नति का भी लाभ लिया। इसकी फर्जी डिग्रियों का पता चलने पर ग्राम पलझा निवासी गोविंद प्रसाद तिवारी ने 31 दिसंबर 2012 को कलेक्टर, डीईओ, सीईओ जिला पंचायत को लिखित शिकायत की। शिकायत में कहा गया था कि 1994 में बीएससी की डिग्री झांसी बुंदेलखंड से प्राप्त की। 1995 में बीएड की डिग्री बरकतउल्ला विवि से प्राप्त की। 1996 में ही माह दिसंबर में उस्मानिया हैदराबाद से एमए अर्थशास्त्र प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण की डिग्री प्राप्त कर ली। दो वर्ष में ही बीएससी, बीएड और एमए की डिग्री प्राप्त करने की शिकायत के बाद आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो भोपाल से पत्र व्यवहार किया गया। तत्कालीन एसपी उमरिया के पास वहां से पत्र आने पर जांच के लिए निर्देशित किया। जांच में शिक्षक की सारी योग्यता और डिग्री फर्जी पाई गई, जिस पर थाना इंदवार के तत्कालीन थाना प्रभारी ने प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच शुरू की। 20 अक्टूबर 2015 को जिला एवं सत्र न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया। करीब 9 वर्ष बाद कोर्ट ने सजा सुनाई।
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