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हवन यज्ञ से मन, बुद्धि और चित्त हो जाता है पूरी तरह से निर्मल

भागवत कथा के समापन के साथ हवन यज्ञ व विशाल भंडारे का आयोजन

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The mind, intellect and heart become completely pure by Havan Yagya

The mind, intellect and heart become completely pure by Havan Yagya

जिलाअंतर्गत नरवार- जरहा के बीच में स्थित प्राचीन सिद्ध बाबा मंदिर की पावन धरा में सात दिनों से चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर रविवार को हवन-यज्ञ व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जो देर शाम तक चलता रहा। अयोध्या धाम से आए कथा व्यास पंडित शैलेंद्र महाराज जी ने सात दिन तक भक्तों को श्रीमद् भागवत कथा की महिमा बताई, उन्होंने भक्तों से भक्ति मार्ग से जोडऩे और सत्कर्म कर्म करने को कहा।

उन्होंने कहा कि हवन यज्ञ से वातावरण एवं वायु मंडल शुद्ध होने के साथ-साथ आत्मिक बल मिलता है। हर कथा या अनुष्ठान का तत्व सार होता है। जो मन बुद्धि व चित्त को निर्मल कर देता है, मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग से बचा हुआ शेष भाग मनुष्य के लिए प्रसाद बन जाता है, कथा समापन के दिन रविवार 14 जनवरी को विधि विधान से पूजा करवाई गई। दोपहर में यज्ञ के बाद देर शाम तक भंडारा लगाकर प्रसाद बांटा गया।