
भगवान प्रत्येक मनुष्य के ह्रदय में वास करता हैं, लेकिन उसे हमें मंदिरों ढूंढ़ते फिरते हैं : संतश्री विकासानंद
बिलासपुर. जिस प्रकार प्रभु के आगमन से पूर्व ही संपूर्ण पूरे संसार में आनंद की लहर दौड़ गई, उसी प्रकार एक भक्त भी अपने भीतर परमात्मा को पाकर आनंदित होकर थिकरने लगता हैं। उक्त बातें बनारस से पधारे संतश्री विकासानंद ब्रह्माचारी महाराज कुदुदण्ड संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान कहीं। कथा के पांचवें दिन श्रीकृष्ण के प्राकट्योतसव मनाया गया।
संतश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन भर परमात्मा की तलाश में मंदिर और धार्मिक स्थलों का भ्रमण करता हैं। लेकिन उन्हें सिर्फ पछतावे के कुछ भी हासिल नहीं होता। इंसान अगर भगवान को अपने मन में बसा ले तो उसे परम शांति की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि प्रभु कण-कण में व्याप्त हैं। हम बेकार में उन्हें ढंूढ़ते फिरते हैं। अगर मनुष्य परमात्मा को अपने अंदर विचार करें तो उसे कही भटकने की जरुरत नहीं पड़ेगी। कथा के बीच-बीच में कथावाचक द्वारा भजन की प्रस्तुति दी। जिसे सुनकर उपस्थित श्रद्धालू भाव-विभोर होकर झूमते रहे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालू उपस्थित थे।
भजन सुनकर झूमते रहे भक्तजन
संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्योत्सव धूमधाम से मनाया गया। संगीतमय इस आयोजन में कथावाचक द्वारा भक्तिपूर्ण भजनों की प्रस्तुति दी गई। जिसे सुनकर भक्तगण भाव-विभोर हो गए हैं और काफी देर तक झूमते रहें। इस भक्तिमय आयोजन प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से किया जाता हैं। जिसमें बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित होकर श्रीमद् भागवत कथा का रसपान करते हैं।
Published on:
17 Jan 2020 08:04 pm
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