
ashok gehlot
जयपुर। राजस्थान में अब जंगम जाति को घुमंत जाति (Nomadic caste ) की सूची में शामिल करने के लिए मांग उठने लगी है। घुमंतू — अर्ध घुमंतू जाति बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष गोपाल केसावत के नेतृत्व में इस वर्ग के लोगों ने आज मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर घुमंतू जंगम जाति का 8 सूत्रीय ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन मुख्यमंत्री के ओएसडी देवाराम सैनी को दिया गया। केशावत ने ज्ञापन में कहा है कि राजस्थान में जंगम जाति की जनसंख्या लगभग 1 लाख के लगभग है। यह जाति युगों से पूरे उत्तर भारत में वर्ण विहीन सामाजिक व्यवस्था स्थापित करने के लिए शैवमत व अध्यात्मवाद का प्रचार करते रहे हैं। इसके प्रमाण हड़प्पा संस्कृति में स्पष्ट रूप से देखने को मिलते हैं। वर्तमान में भी राजस्थान प्रान्त: के जंगम अपनी चिरकालीन परम्परा को कायम रखते हुए समूचे राजस्थान के अतिरिक्त पड़ोसी राज्यों में भी घुमंतओं के रूप में भिक्षावृत्ति करके जीवन यापन कर रहे हैं। प्रतिनिधि मंडल में दीनदयाल जंगम, डॉ हरीश कुमार, कुसुमलता, रेखा, ओमप्रकाश, मोहन लाल, शिवप्रकाश, भगवानसहाय, रमेश जंगम, यादराम आदि समाज के अन्य लोग थे।
ये दिए आंकड़े —
ज्ञापन में बताया गया कि शतप्रतिशत जंगम जाति भूमिहीन व अकृषक है। वर्तमान में जंगम समाज की कुल जनसंख्या का केवल (0.5) प्रतिशत व्यक्ति ही सरकारी व अर्धसरकारी नौकरी करते हैं। जबकि 99.5 प्रतिशत जनसंख्या परम्परागत परिधान में भीख मांग कर गुजारा कर रही है। नेशनल डीएनटी (National DNT Commission )ने भी अपनी 2019 की रिपोर्ट में राजस्थान व हरियाणा की जंगम जाति को घुमंतू जाति घोषित किया है। कमीशन की रिपोर्ट को मद्देनजर रखते हुए हरियाणा सरकार ने तो नोटिफिकेशन जारी करके जंगम जाति को घुमंतू जाति की सूची में डाल दिया है। राजस्थान में जंगम जाति को DNT की सूची में डालने का गत सरकार ने भी कई बार आश्वासन दिया था लेकिन सूचीबद्ध नहीं किया । कमीशन की रिपोर्ट को मानकर तेलंगाना, पांडिचेरी, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा हरियाणा राज्यों की सरकार ने जंगम जाति को घुमंतू जाति की सूची में शामिल करके सब प्रकार के लाभ भी देने शुरू कर दिए हैं। जंगम समाज में मृत्यु के बाद समाधि की परम्परा है इसलिए समाधि के लिए ज़मीन का आवंटन किया जाए।
Updated on:
07 Jul 2020 06:02 pm
Published on:
07 Jul 2020 05:59 pm
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