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रात्रि भोजन नहीं करने का लिया संकल्प

चातुर्मास के दौरान

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raatri bhojan nahin karane ka liya sankalp in bhilwara

raatri bhojan nahin karane ka liya sankalp in bhilwara

भीलवाड़ा .

गुरू के चरणों में झुकने पर तकदीर बदल सकती हैं। यह विचार प्रवर्तक सुकनमुनि ने शास्त्रीनगर स्थित अहिंसा भवन में आयोजित धर्मचर्चा के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गुरू का स्थान परमात्मा से बड़ा होता है। आत्मा से आत्मा का मिलन गुरू ही करवा सकता है। उपप्रवर्तक अमृतमुनि ने कहा की अंधकार को हटाकर प्रकाश की और ले जाने वाला गुरू ही है। महेश मुनि ने कहा की गुरू उस कुम्हार की तरह है जो मिट्टी को मुर्ति का आकार बनाकर पूज्नीय बना देता है उसी तरह गुरू की शिक्षा से शिष्य महान बन जाते है। हितेश मुनि, अखिलेश मुनि व डॉ. वरूण ने कहां कि भगवान से मिलाने वाला गुरू ही है। मीडिया प्रभारी सुनिल चपलोत ने बताया की सोशल डिस्टेंस का पालन करते धर्म चर्चा हुई। इसमें पूर्व सभापति मंजू पोखरणा, शांतिलाल कांकरिया, पारसमल पीपाड़ा, संघ मंत्री रिखबचन्द पीपाड़ा, शांतिभवन के संयोजक नवरतनमल बम्ब, चंदनबाला महिला मण्डल अध्यक्ष मधू बिराणी, जैन कॉन्फ्रेंस राष्ट्रीय महामंत्री लाड़ मेहता, राजस्थान जैन कॉन्फ्रेंस प्रांतिया अध्यक्ष पुष्पा गौखरू ने हिस्सा लिया। अहिंसा भवन के संरक्षक हेमन्त आंचलिया, संघ अध्यक्ष अशोक पोखरणा के नेतृत्व मे महिला मण्डल तथा उपस्थित पदाधिकारियों ने चातुर्मास के पांच माह तक रात्रि भोजन नहीं करने का सुकनमुनि से सकल्प लिया। संघ मंत्री रिखबचन्द पीपाड़ा, हिम्मत सिंह बापना, महिला मण्डल की मंत्री ममता रांका ने कुलदीपसिंह व उनकी पत्नी पुष्पा देवी देवड़ा ने आजीवन शील व्रत के प्रत्याख्यान लेने पर सम्मान किया।