
खास बातचीत में बोले एक्टर चंद्रभूषण सिंह, माया नगरी में भी सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं
नरेंद्र नाथ अवस्थी
उन्नाव. कलम, तलवार की पावन धरा ने जब जब देश को जिस विधा की आवश्यकता पडी। उसने एक से बढकर एक साहित्यकार, वीर पुरुषों को जन्म देकर जनपद का गौरव बढाया है। यह उन लोगो के लिए एक जवाब है, जो कहते है कि छोटी जगहों से लोग आगे नही बढ पाते। ऐसा ही एक उदाहरण जनपद के चकलवंशी में जन्मे एक्टर, डायरेक्टर एवं कलमकार चंद्रभूषण सिंह का है। जिन्होंने धरना अनलिमिटेड लंका, मासाब आदि फिल्मों में काम करके अपने अभिनय का जौहर दिखाया हैं। उन्होने यह साबित कर दिया कि मेहनत और लगन हो तो कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। एक निजी कार्यक्रम में मुम्बई से आये कलाकार चंद्र भूषण सिंह ने बातचीत के दौरान कहा कि आज युवाओं को आवश्यकता है एक सकारात्मक सोच बनाने की और उस पर अमल करने की। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है।
स्थानीय कला को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं चंद्र भूषण सिंह
उन्होने कहा कि यहां की स्थानीय कला को बढ़ावा देने के लिए सभी को मिल-जुलकर प्रयास करना चाहिए। उत्तर प्रदेश की सरकार हुआ यह कि लोगों को मिल-जुलकर इस बात का प्रयास करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश को एक सांस्कृतिक प्रदेश बनाने के लिए काम करना चाहिए और हर जिले में कुछ न कुछ कल्चरल एक्टिविटी होना चाहिए
इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाकर अधिक से अधिक कलाकारों को प्रशिक्षित कर एक मंच देने की आवश्यकता है। इसके लिए वह भी प्रयासरत है। चंद्र भूषण सिंह ने कहा कि वह सरकार के माध्यम से स्थानीय कला को नए रूप में सामने लाने के लिए प्रयासरत है इसी दिशा में उन्होंने एक योजना बनाई है कि रामलीला को नौटंकी नाटक के माध्यम से लोगों के बीच प्रस्तुत किया जाए मुझे पूरा विश्वास है इसमें उन्हें सफलता मिलेगी। इसके लिए स्थानीय स्तर पर कलाकारों को प्रशिक्षण देकर एक मंच प्रदान करने की योजना है। रामायण का नाट्य रुपांतरण का मंचन परियर स्थिति जानकी कुण्ड में किया जाये। क्यों कि रामायण में सीता जी की भूमिका अहम रही। फिर चाहे वह सीता स्वयंवर हो या राम वनवास। सीता हरण से लेकर लंका विजय तक मैया सीता की अपनी अहम भूमिका है और यह नाट्य रुपांतर मैया सीता के दृष्टिकोण से लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
डेंटिस्ट से आर्टिस्ट बने चंद्र भूषण सिंह
डेंटिस्ट से आर्टिस्ट बने चंद्र भूषण सिंह की किताब 'प्रचारक' एकात्म मानव दर्शन नाट्य रुपांतर को काफी सराहा जा रहा है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में प्रस्तुति नाटक प्रचारक के विषय में उन्होंने बताया कि दीनदयाल उपाध्याय के रूप में दो प्रचारक नाटक में मौजूद हैं। जिनके माध्यम से समाज को एक संदेश देने का काम किया गया है उन्होंने कहा कि जिस प्रकार शरीर का एक अंग दूसरे अंग की मदद करता है ठीक उसी प्रकार एकात्म मानववाद में एक मनुष्य बिना किसी भेदभाव के दूसरे की मदद करने को लेकर तत्पर रहता है। पुस्तक में गांधी जी के हिंद स्वराज की चर्चा है तो लोकमान्य तिलक द्वारा रचित गीता रहस्य का BJP किया गया है जिसमें उन्होंने उस समय दुनिया में फैले विचारों पर तुलनात्मक चर्चा की थी।
Updated on:
11 Dec 2017 11:06 am
Published on:
11 Dec 2017 11:05 am
बड़ी खबरें
View Allउन्नाव
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
