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उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता को कोर्ट का निर्देश, जरूरी हो तभी निकलें बाहर

locationउन्नावPublished: Aug 10, 2021 04:03:54 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

Court’s instructions to Unnao rape victim go out only if necessary- उन्नाव रेप केस की दुष्कर्म पीड़िता (Unnao Rape Case) को तीस हजारी कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मुकदमा खत्म होने तक जरूरी हो तो ही घर से बाहर निकलें और बाहर जाने से पहलें सुरक्षाकर्मियों को सूचित कर दें।

Court's instructions to Unnao rape victim go out only if necessary

Court’s instructions to Unnao rape victim go out only if necessary

उन्नाव. Court’s instructions to Unnao rape victim go out only if necessary. उन्नाव रेप केस की दुष्कर्म पीड़िता (Unnao Rape Case) को तीस हजारी कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मुकदमा खत्म होने तक जरूरी हो तो ही घर से बाहर निकलें और बाहर जाने से पहलें सुरक्षाकर्मियों को सूचित कर दें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दुष्कर्म पीड़िता को सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता के उस आवेदन पर दिया है जिसमें उसने सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
सुरक्षाकर्मियों को सूचित कर बाहर जाने का निर्देश

पीड़िता ने अपने आवेदन में आरोप लगाया है कि उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी उन्हें स्वतंत्रता से जीने नहीं दे रहे हैं। इस पर अदालत ने कहा कि आप इस तरह से अपना कार्यक्रम बनाएं कि आपको हर दिन बाहर न जाना पड़े। अदालत ने इस दौरान यह भी रिकॉर्ड पर लिया कि पीड़िता और उसकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी ने आपसी सहमति से मामले को हल करने को सहमत हो गए हैं। अदालत ने कहा कि अब से यह साफ है कि पीड़िता व उनका परिवार जब भी किसी मामले के लिए दिल्ली से बाहर जाएंगे तो वे सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट को इसकी जानकारी देंगे, ताकि उन्हें उचित सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराया जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि अगर पीड़िता और उसके परिवार का सदस्य मुकदमे के संबंध में अपने अधिवक्ता से मिलना चाहते तो इसकी भी जानकारी एक दिन पहले सुरक्षाकर्मी को देंगे।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में पीड़िता से दुष्कर्म मामले में तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव से भाजपा के निलंबित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। चार मार्च 2020 को अदालत ने सेंगर, उसके भाई और पांच अन्य लोगों को भी पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के लिए दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने पीड़िता की सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी भी लगाए।
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