19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

उन्नाव

यहां पर सुभाष चंद्र बोस ने की थी फारवर्ड ब्लाक की स्थापना

1938 में आए थे सुभाष चंद्र बोस, आजादी की अलख जगाने के लिए तीन दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने आए थे

Google source verification

उन्नाव. क्षेत्रीय पार्टियों के कारण लेफ्ट पार्टियों को बहुत नुकसान हुआ है। उनका बेस दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक बिखर कर क्षेत्रीय पार्टियों में चला गया है। इसके साथ ही कोई प्रभावशाली नेता भी लेफ्ट पार्टी में नहीं रह गया है। यह उस प्रदेश की स्थिति है जहां फारवर्ड ब्लाक की स्थापना सुभाष चंद्र बोस ने क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों की मौजूदगी में किया था। लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित माकूर गांव के लोग आज भी सुभाष चंद्र बोस की यादों को ताजा रखे हैं। जिसे मार्क्स नगर के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन धीरे धीरे राजनीतिक पृष्ठभूमि लेफ्ट पार्टी हाशिए पर चली गई। सोवियत संघ के बिखराव के बाद भी लेफ्ट पार्टियों पर बुरा असर पड़ा और पूरे विश्व में लेफ्ट पार्टियां कमजोर हुई।


सुभाष चंद्र बोस 1938 के हीरो

इस संबंध में बातचीत करने पर माकूर गांव के वरिष्ठ नेता व मंत्री के नाम से विख्यात बृजपाल सिंह ने बताया कि फारवर्ड ब्लाक की स्थापना माकूर में 1938 में सुभाष चंद्र बोस ने की थी। अपने 3 दिन के प्रवास के दौरान उन्होंने क्रांतिकारी विचारधारा के लोगों से मुलाकात की और आजादी की की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर शेखर नाथ गांगुली, शिवकुमार मिश्रा, विशंभर दयाल त्रिपाठी सहित अन्य जुझारू व क्रांतिकारी नेता मौजूद थे।


कांग्रेस की विचारधारा से मेल ना खाने के कारण बनाई अलग पार्टी

उन्होंने कहा कि 1917 में रूस में हुई क्रांति के बाद चर्चा में आए सुभाष चंद्र बोस को यहां पर बुलाया गया था। जो की रूसी क्रांति के बाद हीरो के रूप में उभरकर सामने आए थे। जो देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। कांग्रेस में भी उस समय दो विचारधारा के लोग मौजूद थे। जिसमें एक प्रगतिशील दूसरा क्रांतिकारी। देश का युवा वर्ग सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा से जुड़ा हुआ था। सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस की नीतियों से नाराज चल रहे थे। इसलिए उन्होंने यहां पर फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। इस दौरान यहां पर क्रांतिकारी विचारधारा के काफी लोग ने हिस्सा लिया था। यहां पर हुई खुली बैठक में क्षेत्र सहित आसपास के जिलों से भी काफी लोग भाग लेने के लिए आए थे। जिसमें राम गोपाल, विशंभर दयाल त्रिपाठी सहित अन्य नेता शामिल थे। विशंभर दयाल त्रिपाठी रामगोपाल शेखर नाथ गांगुली की मौजूदगी में फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की स्थापना की गई।


सोवियत संघ का विखराव का असर भी लेफ्ट पार्टियों पर पड़ा

एक प्रश्न के उत्तर में मंत्री बृजपाल सिंह ने बताया कि 70 के दशक के बाद सीपीआई सहित अन्य लेफ्ट पार्टियों को काफी नुकसान हुआ। सोवियत संघ के टूटने का असर पूरे विश्व के लेफ्ट पार्टियों पर पड़ा। जिसका असर भारत में भी दिखाई पड़ा। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बसपा के आने से लेफ्ट पार्टी को बहुत नुकसान हुआ। लेफ्ट पार्टियों की पैठ सबसे ज्यादा दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक में थी। जिस पर सपा और बसपा ने कब्जा कर लिया। जिससे सीपीआई कमजोर हो गई। कोई प्रभावशाली नेता न जिले स्तर पर रह गया और ना ही राज्य स्तर पर। जिससे सीपीआई मूवमेंट काफी कमजोर हुई।

संघर्ष करके पार्टी को आज भी खड़ा किया जा सकता

साथ ही उन्होंने कहा कि आज भी यदि संघर्ष किया जाए तो पार्टी खड़ी हो सकती है। जातिवादी पार्टियां भी बिना संघर्ष के आगे नहीं बढ़ सकती हैं। जिसमें बसपा और सपा भी शामिल है। आज की तारीख में कम्युनिस्ट पार्टी ने संघर्ष करना छोड़ दिया है। इसलिए इसके अस्तित्व में आने का कोई सवाल ही नहीं उठता। यदि आज भी संघर्ष किया जाए पार्टी अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है।