
25 साल की सत्ता का अंत | Photo Video Grab
Kuldeep Sengar Life Imprisonment Sentence: उन्नाव नाबालिग दुष्कर्म मामला एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस बहुचर्चित मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया। कोर्ट ने सख्त शर्तों के साथ उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है, हालांकि फिलहाल वे जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे।
कुलदीप सेंगर अभी भी पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं। इस मामले में उनकी अपील दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है, जिसकी सुनवाई 16 जनवरी 2026 को निर्धारित है। जब तक इस केस में फैसला नहीं आता, तब तक सेंगर को जेल से बाहर नहीं किया जाएगा।
जैसे ही सजा निलंबन की खबर सामने आई, कुलदीप सेंगर के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। वहीं पीड़िता और उसका परिवार गहरे आक्रोश और भय में नजर आया। पीड़िता अपनी मां के साथ दिल्ली के इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गई, जहां से पुलिस ने दोनों को हटाया। पीड़िता का कहना है कि अगर सेंगर बाहर आया तो वह दोबारा धरना देगी।
पूरा मामला वर्ष 2017 का है, जब उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की ने तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। पीड़िता और उसके परिवार को शुरुआत में पुलिस और प्रशासन से कोई राहत नहीं मिली, जिसके चलते मामला लंबी कानूनी लड़ाई में तब्दील हो गया।
अप्रैल 2018 में प्रदेश सरकार की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने मामले की सीबीआई जांच को मंजूरी दी। 13 अप्रैल 2018 को सीबीआई ने कुलदीप सेंगर को लखनऊ स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया। इसके बाद मामला दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में स्थानांतरित किया गया।
लंबी सुनवाई के बाद 16 दिसंबर 2019 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी करार दिया। 20 दिसंबर 2019 को अदालत ने उन्हें उम्रकैद और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इसी के साथ उनकी विधानसभा सदस्यता भी समाप्त हो गई।
दुष्कर्म मामले के बीच पीड़िता के पिता की हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस मामले में कुलदीप सेंगर और उनके भाई अतुल सेंगर को दोषी ठहराते हुए 3 मार्च 2020 को 10-10 साल की सजा सुनाई गई।
पिछले छह वर्षों से कुलदीप सेंगर दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। अब अदालत ने 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और दिल्ली में ही रहने जैसी सख्त शर्तों के साथ उनकी सजा को अस्थायी रूप से निलंबित किया है।
पीड़िता ने सजा निलंबन को अपने और परिवार की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है। उसने कहा कि उसके चाचा आज भी जेल में हैं, जबकि दोषी को राहत मिल रही है। पीड़िता की बहन ने आरोप लगाया कि सेंगर के समर्थक पहले से ही धमकियां देने लगे हैं।
कुलदीप सेंगर की मौसी सरोज सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनके भतीजे को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया। उनका दावा है कि कुलदीप इस तरह का अपराध कर ही नहीं सकते और न्यायालय व ईश्वर पर उन्हें पूरा भरोसा है।
कुलदीप सेंगर ने राजनीति की शुरुआत ग्राम प्रधान के रूप में की थी। 1996 में वे पहली बार प्रधान चुने गए। इसके बाद उनका परिवार लगातार पंचायत और जिला स्तर की राजनीति में सक्रिय रहा। वर्ष 2002 में उन्होंने बसपा से उन्नाव सदर सीट जीतकर विधानसभा में कदम रखा।
2007 और 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक बने कुलदीप सेंगर ने 2016 में सपा से बगावत कर पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। 2017 में उन्होंने भाजपा जॉइन की और बांगरमऊ से लगातार चौथी बार विधायक चुने गए।
उन्नाव दुष्कर्म प्रकरण ने कुलदीप सेंगर के 25 साल लंबे राजनीतिक करियर को पूरी तरह खत्म कर दिया। सत्ता, प्रभाव और दबदबे के लिए पहचाने जाने वाले सेंगर आज जेल, अदालत और विवादों तक सीमित होकर रह गए हैं।
Updated on:
24 Dec 2025 05:12 pm
Published on:
24 Dec 2025 04:05 pm
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