
कुश द्वारा स्थापित कुशहरी देवी में भक्तों का तांता, मंदिर के सामने है विशाल जल सरोवर
उन्नाव. मां के दरबार में भक्तों को खुशी मिलती है। नवरात्र के पावन अवसर पर माता के दरबार में खुशी प्राप्त करने के लिए, मत्था टेकने के लिए पूजा अर्चना के लिए भक्तों का तांता लगा है। जनपद की शक्तिपीठों में विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। मैया के नवरात्रि के अवसर पर माता के भक्तों द्वारा मंदिर परिसर में पूजा अर्चना के साथ भजनों का भी रसास्वादन किया जा रहा है। देवी गीतों से मंदिर परिसर गुंजायमान है। घंटे, घड़ियाल और माता के जयकारे से भक्तगण मैया को याद कर रहे हैं। लखनऊ कानपुर रेल मार्ग पर स्थित कुसुंभी रेलवे स्टेशन से लगभग 500 मीटर दूर स्थित कुशहरी देवी का मंदिर में दर्शन करने के लिए जनपद ही नहीं दूर-दूर से माता के भक्तगण पहुंच रहे हैं। मान्यता है कि माता कुशहरी देवी के मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पुत्र कुश द्वारा स्थापित है। जिनके नाम पर ही मंदिर का नाम कुशहरी देवी पड़ा। कुशहरी देवी मंदिर के सामने विशाल जल सरोवर है। जिसमें तैरती मछलियों को आटा खिलाने का रिवाज है।
कलश स्थापना और अखंड ज्योति के साथ माता की पूजा अर्चना
चैत्र मास के नवरात्र के अवसर पर नौ दिनों तक चलने वाला पवित्र दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। एक तरफ जहां घरों में कलश की स्थापना की गई है, अखंड ज्योत जलाई जा रही है। वही देवी मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना भी की जा रही है। माता विभिन्न रूपों में भक्तों को दर्शन दे रही हैं। मंदिर परिसर के आस पास भक्तिमय वातावरण बरबस लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लखनऊ कानपुर रेल मार्ग पर स्थित कुसुंभी रेलवे स्टेशन से लगभग 500 मीटर दूर स्थित कुशहरी देवी मंदिर जनपद के पौराणिक स्थलों में से एक है। अपने नाम के अनुसार कुशहरी देवी की स्थापना श्री राम के पुत्र कुश द्वारा की गई थी। माता की प्रतिमा अलौकिक छटा बिखेर रही है।
कुएं से निकली थी माता की दिव्य प्रतिमा
मान्यताओं के अनुसार जानकी कुंड परियर मैं प्रवास के दौरान लव-कुश अपने सैनिकों के साथ जा रहे थे। तो यहां पर उन्होंने विश्राम किया था। इस दौरान उन्होंने सैनिकों को पानी लेने के लिए भेजा। सैनिकों ने वापस आकर बताया कि कुएं में कुछ है। सैनिकों से मिली जानकारी पर मौके पर पहुंचे कुश ने देखा कि कुएं में माता की मूर्ति है। जिसे लाकर उन्होंने विधि विधान से पूजा किया और वहीं पर स्थापित कर दिया। जिसके बाद से लगातार साल-दर-साल कुशहरी देवी की ख्याति चारों तरफ फैल गई। आज माता कुशहरी देवी परिसर ने भव्यता का रूप ले लिया है।सामने स्थित जल सरोवर कुशहरी देवी मंदिर की भव्यता को चार चांद लगाता है। सतयुग काल में निर्मित माता की प्रतिमा अष्टधातु की है। जबकि पीछे घोड़े पर सवार लव-कुश की प्रतिमा भी स्थापित है। लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भगवान परशुराम द्वारा स्थापित दुर्गा मंदिर और दुर्गा कुशहरी मंदिर का क्षेत्र में विशेष महत्व है। जहां दोनों देवी मंदिरों के दर्शन से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
Published on:
21 Mar 2018 02:49 pm
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