
शारदीय नवरात्र - नवाबगंज स्थित मां दुर्गा की स्थापना भगवान परशुराम ने की, भक्तों पर बरसती है मां की कृपा
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
उन्नाव. शारदीय नवरात्र पर भगवान परशुराम द्वारा स्थापित दुर्गा मंदिर में माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। नवाबगंज स्थित दुर्गा मंदिर पहुंचते ही भक्तों में भक्ति की गंगा बहने लगती है। लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित दुर्गा मंदिर जाने वाले मार्ग पर पूजा सामग्री की दुकान में बड़ी संख्या में हैं। वैसे तो यहां 12 महीने भीड़ भक्तों की भीड़ उमड़ती है। लेकिन नवरात्रि के दिनों में उमड़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कमेटी द्वारा विशेष व्यवस्था की जाती है। प्रशासन में सुरक्षा की दृष्टिकोण से महिला व पुरुष सुरक्षाकर्मियों को लगाया है।
नवाबगंज दुर्गा मंदिर का इतिहास
नवाबगंज दुर्गा मंदिर के विषय में कहा जाता है कि ऋषि जमदग्नि के आश्रम में राजा सहस्त्रबाहु आए। उनके स्वागत के लिए ऋषि जमदग्नि ने कामधेनु गाय का दूध दिया। कामधेनु गाय के दूध से राजा सहस्त्रबाहु कि सेना की थकावट दूर हो गई और पेट भर गया। यह देखें राजा आश्चर्य में पड़ गए। राजा सहस्त्रबाहु ने ऋषि जमदग्नि से कामधेनु गाय की मांग की। ऋषि ने देने से इनकार कर दिया। इस पर राजा ने हत्या कर कामधेनु गाय को अपने साथ ले गए।
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भगवान परशुराम ने किया स्थापना
मान्यता है परशुराम ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने का पण लिया और घोर तपस्या करते हुए मां दुर्गा की स्थापना की। माता की आकर्षण प्रतिमा भक्तों को अपनी और आकर्षित करती हैं। जिनके दर्शन मात्र से भक्त अपने को धन्य समझते हैं। एक बार जिसने दर्शन कर लिया वह माता के दर्शन के लिए बार-बार खिंचा चला आता है।
भव्य है माता का दरबार
दुर्गा माता का परिसर काफी बड़ा है। चारों तरफ बरामदा और बीच में हवन कुंड, सामने मां दुर्गा ऊंचे सिंहासन पर विराजमान है। नवरात्रि के दिनों में कन्या पूजन के साथ अन्य कई संस्कार भी संपन्न होते हैं। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नन्हा गुरु ने बताया कि कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ नहीं जाता है। यहां पर नियमित रूप से माता का शृंगार और आरती होती है।
कैसे पहुंचे
लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नवाबगंज में मां दुर्गा का मंदिर स्थापित है। जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर और लखनऊ से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है माता का दरबार। कुसुंबी रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है। जो लगभग 3 किलोमीटर दूर है। जहां से उतर कर टेंपो के माध्यम से माता के दरबार तक पहुंचा जाता है।
Published on:
08 Oct 2021 08:33 am
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