
कुशहरी देवी मंदिर उन्नाव
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की नगरी से अयोध्या जाते समय कुश ने यहां पर माता की स्थापना की। जिसे कुशहरी देवी के नाम से जाना जाता है। देवी मंदिर के सामने विशाल तालाब है। जिसमें रहने वाली मछलियों को आटा खिलाने की परंपरा है। मंदिर परिसर के आसपास की दुकान और उनमें सजी चुनरी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। यहां पर भंडारा आदि भी कराए जाते हैं। मां कुशहरी देवी का दरबार सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। देवी मंदिर के पुजारी अशोक सिंह ने बताया कि मां अपने भक्तों की पुत्र की मनोकामना को पूरी करती हैं।
कुशहरी देवी का मंदिर कुसुंभी गांव में है। मूर्ति की स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने की थी। जिससे यह स्थान कुशेहरी देवी के नाम से विख्यात हुआ। मंदिर के पुजारी ने बताया कि अयोध्या से वापस जाते समय लव और कुश यहां पर विश्राम किए थे। कुएं से पानी निकालने के समय उन्हें दिव्य शक्ति का एहसास हुआ। कुएं में देवी माता की मूर्ति मिली। जिसे कुश ने एक टीले पर स्थापित कर दिया और पूजा अर्चना की।
मां भक्तों की पुत्र की मनोकामना पूरी करती हैं
मंदिर के पुजारी ने बताया कि जो भी सच्चे मन से पुत्र की कामना करता है। उन्हें मां निराश नहीं करती हैं। यहां कुल दीपक मिलने की मान्यता है। मंदिर परिसर के पीछे कसौटी पत्थर पर लव कुश की मूर्ति बनी है। जो लोगों के बीच आस्था का केंद्र है।
कैसे पहुंचे?
कुशहरी देवी मंदिर के सबसे निकट कुसुंबी रेलवे स्टेशन है। लखनऊ कानपुर रेल मार्ग पर स्थित कुसुंभी रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर माता का दरबार है। सड़क मार्ग से भी माता का दरबार जुड़ा है। लखनऊ कानपुर राजमार्ग पर स्थित नवाबगंज से कुशहरी देवी मंदिर जाने का मार्ग है। यह दूरी लगभग 3 किलोमीटर की है। यहां से टेंपो, ई रिक्शा आदि आने जाने के लिए मिलते हैं।
Updated on:
17 Oct 2023 05:51 pm
Published on:
17 Oct 2023 07:43 am
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