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अदालत ने पिता पुत्र को सुनाई सश्रम आजीवन कारावास की सजा, जानें क्यों?

अदालत ने पिता पुत्र को नाबालिग किशोर की हत्या का दोषी माना और दोनों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही अर्थ दंड भी लगाया गया है। घटना दिसंबर 2018 की है।

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सश्रम आजीवन कारावास की सजा

अदालत ने सुनाई सजा

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दो हत्या आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अर्थ दंड भी लगाया है। एक अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण रिहा करने का आदेश दिया गया है। अभियोजन पक्ष की तरफ से एडीजीसी विनय शंकर दीक्षित का विशेष योगदान रहा।‌ घटना अजगैन थाना क्षेत्र के गांव केवाना की है।

अजगैन थाना क्षेत्र अंतर्गत केवाना गांव के रहने वाले 15 वर्षीय राहुल उर्फ मयंक मौर्य पुत्र संतु पुलिस की नौकरी की तैयारी कर रहा था। 30 दिसंबर 2018 को राहुल प्रेक्टिस के लिए घर से सुबह 6 बजे निकला था। फिर वापस लौटकर नहीं आया। दिसंबर 2018 को सुबह 8:30 बजे राहुल का मृत शरीर सरसों खेत में पड़ा मिला था। जिसके शरीर में एक भी कपड़ा नहीं था। पुलिस ने रजनीश उर्फ उमेश, शिव शंकर और राधेलाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 और 34/ 201 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया था।

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अदालत ने एक को दोष मुक्त किया

सुनवाई के दौरान अदालत ने राधेलाल को दोष मुक्त करते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। रजनीश उर्फ रमेश पुत्र शिव शंकर, शिव शंकर पुत्र स्व सुखराम निवासी गण केवाना थाना अजगैन को दोषी माना। पिता पुत्र को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा करने की स्थिति में तीन-तीन महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा दी गई है। इसके अतिरिक्त आईपीसी की धारा 201 के अंतर्गत दर्ज मुकदमे में 5-5 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। यह सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।