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E-Rickshaw Rules: उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग ने ई-रिक्शा के लिए आयु सीमा तय करने और रोड टैक्स लागू करने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है और इसके मंजूर होने पर प्रदेश में ई-रिक्शा संचालन से जुड़े कई नियमों में बदलाव आ सकते हैं। डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की तरह ही अब ई-रिक्शा के लिए भी कुछ नए नियम और शर्तें लागू होंगी।
परिवहन विभाग ने यह प्रस्ताव तैयार किया है कि ई-रिक्शा की आयु सीमा तय की जाए ताकि पुराने और अनुपयोगी वाहनों को बाहर किया जा सके। इसका उद्देश्य यह है कि यात्री और चालक की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और पर्यावरणीय प्रदूषण पर भी नियंत्रण हो। इसके साथ ही, ई-रिक्शा चालकों को अब डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की तरह ही रोड टैक्स देना पड़ सकता है। अभी तक ई-रिक्शा को रोड टैक्स से छूट मिली हुई थी, लेकिन अब इस छूट को खत्म करने का प्रस्ताव है।
परिवहन विभाग ने अपने प्रस्ताव में यह भी शामिल किया है कि डीजल और पेट्रोल वाहनों की तरह ही ई-रिक्शा के लिए सख्त नियम लागू हों। इसमें नियमित फिटनेस टेस्ट और वाहन की आयु सीमा को शामिल किया गया है। एक बार जब यह प्रस्ताव मंजूर हो जाएगा, तब ई-रिक्शा को भी तय समय के बाद स्क्रैप किया जाएगा, ताकि अनुपयोगी वाहन सड़कों से हटाए जा सकें। यह कदम सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर उठाया जा रहा है।
ई-रिक्शा की आयु सीमा तय करने का उद्देश्य मुख्य रूप से उन वाहनों को हटाना है जो काफी समय से उपयोग में नहीं हैं और जो यात्री सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, कई ई-रिक्शा वाहनों की बैटरी और अन्य पुर्जे पुरानी हो चुकी होती हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं। इन वाहनों को हटाने से न केवल सड़कों पर वाहन कम होंगे, बल्कि यातायात भी सुगम होगा और प्रदूषण पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा।
परिवहन विभाग का मानना है कि जैसे डीजल और पेट्रोल वाहनों के लिए सख्त नियम लागू हैं, वैसे ही ई-रिक्शा के लिए भी ये नियम लागू किए जाने चाहिए। फिटनेस सर्टिफिकेट, आयु सीमा और रोड टैक्स जैसे नियम लागू होने के बाद ई-रिक्शा चालकों को भी अपनी गाड़ियों की देखभाल और नियमों के पालन पर अधिक ध्यान देना होगा।
आर्थिक प्रभाव: ई-रिक्शा चालकों को अब रोड टैक्स देना होगा, जिससे उनकी आमदनी पर प्रभाव पड़ सकता है।
सुरक्षा: नए नियमों से यात्री सुरक्षा में सुधार होगा और वाहनों की फिटनेस सुनिश्चित की जाएगी।
पर्यावरण: अनुपयोगी वाहनों को हटाने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
हालांकि यह कदम यात्री सुरक्षा और पर्यावरण के लिए उठाया गया है, लेकिन यह ई-रिक्शा चालकों के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है। उन्हें अतिरिक्त खर्च के रूप में रोड टैक्स और फिटनेस टेस्ट पास करने के लिए वाहन में सुधार करना पड़ सकता है। यह विशेष रूप से उन चालकों के लिए मुश्किल हो सकता है, जिनकी आमदनी सीमित है।
लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में ई-रिक्शा चालकों और यात्रियों के बीच इस प्रस्ताव पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। जहां कुछ लोग इसे यात्री सुरक्षा के लिए एक जरूरी कदम मानते हैं, वहीं अन्य इसे चालकों के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं। हालांकि, परिवहन विभाग इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, और यह उम्मीद है कि नए नियम लागू होने के बाद सड़कों पर सुरक्षा में सुधार आएगा।
इस प्रस्ताव का उद्देश्य यात्री और चालक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सड़कों को सुरक्षित बनाना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है। आने वाले समय में अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो ई-रिक्शा चालकों और यात्रियों के लिए बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
Published on:
28 Sept 2024 05:35 pm
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