
जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला केस | Image Source - Pexels
Japanese encephalitis first case girl infected in Rampur: यूपी के रामपुर जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला मामला सामने आया है। चमरौआ ब्लॉक के सिकरौल गांव की 12 वर्षीय शिखा में जेई वायरस की पुष्टि दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से प्राप्त रिपोर्ट में हुई। फिलहाल बच्ची घर पर है और उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
सीएचसी प्रभारी डॉ. नवीन प्रसाद के अनुसार, शिखा को 9 सितंबर से लगातार बुखार आ रहा था और उसकी मानसिक स्थिति प्रभावित होने लगी थी। पहले उसे जिला अस्पताल में भर्ती कर छुट्टी दे दी गई, लेकिन 14 सितंबर को दोबारा हालत बिगड़ने पर उसे फिर भर्ती किया गया।
सीटी स्कैन में मस्तिष्क में सूजन मिलने पर बच्ची को उच्च केंद्र रेफर किया गया। 2 अक्टूबर को उसे मुरादाबाद के निजी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां भी वही स्थिति पाई गई। इसके बाद 7 अक्टूबर को परिवार उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले गया।
दिल्ली अस्पताल द्वारा भेजी गई रक्त जांच रिपोर्ट में जापानी इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई। इलाज के बाद बच्ची को छुट्टी दे दी गई है। मंगलवार को चिकित्सा टीम उसके घर पहुंची और परिवार को सावधानियां भी बताई गईं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बताया कि गांव के आसपास 500 मीटर की दूरी पर दो घरों में सूअर पालन किया जा रहा था। छह-सात सूअर कई दिनों से बीमार पाए गए। अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में बीमारी का स्रोत सूअरों को माना जा रहा है।
जेई वायरस क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के जरिए फैलता है। जब यह मच्छर किसी संक्रमित सूअर या जंगली पक्षी का रक्त चूसता है, तो वायरस उसके शरीर में पहुंच जाता है और फिर वह स्वस्थ व्यक्ति को काटकर उसे भी संक्रमित कर देता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमण के बाद 5 से 15 दिनों के बीच लक्षण दिखाई देते हैं। यह रोग अगस्त से अक्टूबर तक सबसे अधिक सक्रिय रहता है।
बुखार, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में जकड़न जैसे शुरुआती लक्षण आम बुखारों जैसे दिखते हैं। गंभीर मामलों में दिमाग में सूजन, बेहोशी और न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है।
स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी, पूरी आस्तीन के कपड़े, घर की खिड़कियों पर जाली और मेलाथियान छिड़काव की सलाह दी है। जानवरों के संपर्क के बाद हाथ धोने पर भी जोर दिया गया है।
सीएमओ डॉ. दीपा सिंह के अनुसार, गुरुवार को सिकरौल गांव में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया जाएगा। बुखार पीड़ितों की जांच के साथ मच्छरों के प्रजनन स्थलों पर लार्वी साइडल का छिड़काव भी किया जाएगा।
Published on:
05 Nov 2025 01:45 pm
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