Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला केस; 12 साल की बच्ची संक्रमित, सूअरों से फैलने वाली बीमारी पर स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट

Rampur News: रामपुर जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला मामला सामने आया है, जहां सिकरौल गांव की 12 वर्षीय बच्ची में वायरस की पुष्टि हुई। कई अस्पतालों में जांच के बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल की रिपोर्ट से संक्रमण स्पष्ट हुआ।

2 min read
Google source verification
rampur japanese encephalitis first case girl infected pigs alert health department

जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला केस | Image Source - Pexels

Japanese encephalitis first case girl infected in Rampur: यूपी के रामपुर जिले में जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला मामला सामने आया है। चमरौआ ब्लॉक के सिकरौल गांव की 12 वर्षीय शिखा में जेई वायरस की पुष्टि दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से प्राप्त रिपोर्ट में हुई। फिलहाल बच्ची घर पर है और उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।

पहले बुखार फिर मानसिक स्थिति में बदलाव

सीएचसी प्रभारी डॉ. नवीन प्रसाद के अनुसार, शिखा को 9 सितंबर से लगातार बुखार आ रहा था और उसकी मानसिक स्थिति प्रभावित होने लगी थी। पहले उसे जिला अस्पताल में भर्ती कर छुट्टी दे दी गई, लेकिन 14 सितंबर को दोबारा हालत बिगड़ने पर उसे फिर भर्ती किया गया।

दिमाग में सूजन की पुष्टि, कई अस्पतालों में भटका परिवार

सीटी स्कैन में मस्तिष्क में सूजन मिलने पर बच्ची को उच्च केंद्र रेफर किया गया। 2 अक्टूबर को उसे मुरादाबाद के निजी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां भी वही स्थिति पाई गई। इसके बाद 7 अक्टूबर को परिवार उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले गया।

सफदरजंग अस्पताल में ब्लड रिपोर्ट से संक्रमण की पुष्टि

दिल्ली अस्पताल द्वारा भेजी गई रक्त जांच रिपोर्ट में जापानी इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई। इलाज के बाद बच्ची को छुट्टी दे दी गई है। मंगलवार को चिकित्सा टीम उसके घर पहुंची और परिवार को सावधानियां भी बताई गईं।

गांव में बीमार सूअर चिंता का कारण, संक्रमण के स्रोत की जांच

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बताया कि गांव के आसपास 500 मीटर की दूरी पर दो घरों में सूअर पालन किया जा रहा था। छह-सात सूअर कई दिनों से बीमार पाए गए। अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में बीमारी का स्रोत सूअरों को माना जा रहा है।

मच्छर के काटने से फैलता है वायरस

जेई वायरस क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के जरिए फैलता है। जब यह मच्छर किसी संक्रमित सूअर या जंगली पक्षी का रक्त चूसता है, तो वायरस उसके शरीर में पहुंच जाता है और फिर वह स्वस्थ व्यक्ति को काटकर उसे भी संक्रमित कर देता है।

5 से 15 दिन के भीतर दिखते हैं लक्षण

विशेषज्ञों के अनुसार, संक्रमण के बाद 5 से 15 दिनों के बीच लक्षण दिखाई देते हैं। यह रोग अगस्त से अक्टूबर तक सबसे अधिक सक्रिय रहता है।

लक्षण पहचानना मुश्किल, लेकिन खतरा गंभीर

बुखार, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में जकड़न जैसे शुरुआती लक्षण आम बुखारों जैसे दिखते हैं। गंभीर मामलों में दिमाग में सूजन, बेहोशी और न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है।

बचाव ही सबसे बड़ा उपाय

स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी, पूरी आस्तीन के कपड़े, घर की खिड़कियों पर जाली और मेलाथियान छिड़काव की सलाह दी है। जानवरों के संपर्क के बाद हाथ धोने पर भी जोर दिया गया है।

गांव में लगेगा विशेष स्वास्थ्य कैंप

सीएमओ डॉ. दीपा सिंह के अनुसार, गुरुवार को सिकरौल गांव में स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया जाएगा। बुखार पीड़ितों की जांच के साथ मच्छरों के प्रजनन स्थलों पर लार्वी साइडल का छिड़काव भी किया जाएगा।