
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की फाइल फोटो
UP News : सेक्युलर नेताओं से जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने किनारा करने का मन बनाया है। अब संगठन खुद को सेक्युलर कहने वाले नेताओं के किसी भी कार्यक्रम का ना तो समर्थन करेगा और ना ही उनके कार्यक्रम में शामिल होगा। इसके पीछे वजह बताई गई है कि ऐसे नेता सिर्फ वोट के लिए मुस्लिमों को याद करते हैं। जब उनके हितों की बात आती है तो चुप्पी साध लेते हैं।
यह घोषणा जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने की है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे नेताओं की इफ्तार पार्टी या फिर ईद मिलन के कार्यक्रमों में भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद शिरकत नहीं करेगी। इस दौरान मदनी ने ये भी कहा कि खुद को सेक्युलर नेता सत्ता के लिए चुप्पी साधे हुए हैं। देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है इनमें भी मुस्लिम टारगेट पर हैं। वक्फ संशोधन बिल का उदाहरण देते हुए कहा कि कहा कि ये नेता सिर्फ वोट के लिए सैक्युलरिज्म दिखाते हैं जब बात मुस्लिमों या अल्पसंख्यकों की आती है तो आवाज नहीं उठाते। सत्ता के लालच में सब भूल जाते हैं।
मदनी ने कहा कि खुद को सैक्युलर बताने वाले नेता मुस्लिमों के वोट से ही जनप्रतिनिधि बने हैं और अब सत्ता के लालच में चुप्पी साधे हुए हैं। सिर्फ चुप्पी ही नहीं साधे हुए बल्कि एक तरह से मूक समर्थन भी कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने मुख्य रूप चंद्र नायडू, नितिश कुमार और चिराग पासवान का जिक्र भी किया। बोले कि ये ऐसे नेता हैं जो सत्ता के लालच में अपनी आंखे बंद करके बैठ गए हैं और मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा रहे। इससे साफ है कि मूक समर्थन कर रहे हैं। यह भी कहा कि ये नेता लोकतांत्रिक मूल्यों की भी अनदेखी कर रहे हैं।
Updated on:
23 Mar 2025 05:37 pm
Published on:
21 Mar 2025 10:08 pm
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