साथी कैदी नहीं मानते दंपति को हत्यारे
वंदना बताती हैं कि बाहर भले ही लोग अभी भी उन्हें हत्या के लिए दोषी समझते हों, लेकिन जेल के भीतर जो उन्हें जानते हैं, वे समझने लगे हैं। जिन लोगों से भी उनकी बात होती है। वह मानते हैं कि ये लोग दोषी नहीं हैं। वंदना का कहना है कि हम लगातार लड़ रहे हैं और लड़ते रहेंगे, जब तक हमें इंसाफ नहीं मिलेगा, हम चुप नहीं बैठेंगे।
लोगों को इस केस के बारे में बता रहें
वंदना का कहना है कि हम रोज इस मामले में काम कर रहे हैं। लोगों को इस केस से जुड़ी बातें बता रहे हैं। उनको समझा रहे हैं कि कैसे हमें फंसाया गया है। कैसे सीबीआई ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर स्टोरी फ्रेम की। जो लोग मिलते हैं वह हमारी बात को समझ रहे हैं।
लोगों को पता चलेगा तो हमारे पक्ष में बनेगा माहौल
वंदना ने कहा कि जब तक लोगों को पता नहीं होगा तब तक हमारे पक्ष में माहौल नहीं बनेगा। जिस वक्त कोर्ट ने फैसला सुनाया, उस वक्त मीडिया ने देश भर में ऐसा माहौल बना दिया था, जैसे कि पेरेंट्स ही कातिल हैं, इसका भी फैसले पर बहुत फर्क पड़ा। वंदना का कहना है कि, हम इस माहौल को बदलना चाहता हैं। वैसे इस मामले पर बनी फिल्म और लिखी गई किताब के बाद सकारात्मक माहौल बन रहा है।