
UP Assembly Elections 2022 Shivpal Singh Yadav Jaswantnagar Seat
इटावा. जसवंतनगर उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। यह सीट हमेशा से समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा के मनीष यादव को 52,616 वोटों से शिकस्त दी थी। 2012 में भी इसी सीट से शिवपाल यादव ने मनीष यादव को हरा कर जीत दर्ज की थी। वर्तमान में शिवपाल सिंह यादव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक हैं। माना जा रहा है कि मुलायम परिवार के शिवपाल इस बार जसवंतनगर की सीट अपने पुत्र एवं पार्टी महासचिव आदित्य यादव के लिए छोड़ सकते हैं। इस बारे में इटावा इकाई के अध्यक्ष सुनील यादव कि फिलहाल ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन आने वाले दिनों में कोई नया परिवर्तन होता है, तो उसके बारे में अभी से कुछ नहीं कहा जा सकता।
इस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव
आदित्य के नाम की चर्चा इटावा के साथ-साथ शिवपाल के निर्वाचन क्षेत्र जसवंतनगर में जोर शोर से है। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब आदित्य यादव के जसवंतनगर विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। इस बार कयास लगाए जा रहे हैं कि अपने साथ-साथ शिवपाल सिंह यादव अपने बेटे को भी विधानसभा चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। इसलिए उन्होंने अपनी परंपरागत सीट जसवंतनगर को छोड़ने का मन बनाया है। अगर शिवपाल यह सीट छोड़ते हैं तो वह संभल जिले की गुन्नौर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इसके लिए काफी दिनों से शिवपाल सिंह यादव प्रयासरत भी बताए गए हैं।
मुलायम परिवार का अभेद्द किला
जसवंतनगर सीट मुलायम परिवार का अभेद्द किला रहा है। इस सीट पर 1967 के बाद से विधायक सिर्फ यादव ही बना है। पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था जब अभेराम पहली बार विधायक बने। 1962 में नत्थू सिंह पीएसपी के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद 1967 में मुलायम पहली बार सपा के टिकट पर विधायक बनें। 1977 में मुलायम भारतीय लोक जल के टिकट पर लगातार दो बार विधानसभा पहुंचे।
लगातार पांच बार विधायक
1980 में कांग्रेस के बलराम सिंह यादव ने मुलायम के विजय रथ को रोक दिया। लेकिन 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल, 1991 में जनता पार्टी से और 1993 में अपनी पार्टी समाजवादी पार्टी से विधायक बने। इसके बाद इस सीट पर मुलायम के भाई शिवपाल सिंह यादव चुनाव लड़ते रहे। 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर शिवपाल विधायक बने। इसके बाद 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी शिवपाल ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज कराई और लगातार पांच बार विधायक बने। 2018 में मतभेद के चलते शिवपाल ने 29 अगस्त को अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया।
Published on:
10 Jan 2022 11:30 am
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