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Uttar Pradesh Assembly Elections 2022: जब मायावती से दुखी बीजेपी ने मुलायम को बनवाया था सीएम, 2002 का वो किस्सा जब विरोधियों ने भी दिया था सपोर्ट

2002 में जब बीजेपी के सपोर्ट से मुलायम ने संभाली थी उत्तर प्रदेश में सीएम की गद्दी, क्यों कांग्रेस और आरएलडी ने भी नही किया था विरोध, जानिए क्या थी वजह

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नोएडा

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Arsh Verma

Sep 14, 2021

maya mulayam

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लखनऊ। यूपी के विधानसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं। अगर पीछे आंकड़ों को देखते हुए कहे तो बीजेपी की टक्कर फिलहाल तो सिर्फ अखिलेश की पार्टी सपा से है, हालांकि मायावती भी अब मैदान में उतर चुकी हैं, लेकिन बसपा पीछे कई वक्त से शांत थी, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती ने बीजेपी को रोकने के लिए अपना ब्राह्मण चेहरे सतीश चंद्र मिश्रा को उतार दिया है। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ भी हो सकता है।

आपको बता दें कि कभी मायावती को रोकने के लिए बीजेपी ने मुलायम सिंह की सरकार बनवाई थी।

आइए जानते हैं पूरा किस्सा:

यह बात साल 2002 की है, जिस वक्त उत्तर प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। तब प्रदेश में मायावती सीएम की गद्दी संभाल रहीं थी। यह सरकार चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा का परिणाम थी। इसमें समाजवादी पार्टी को 143, बीएसपी को 98, बीजेपी को 88, कांग्रेस को 25 और अजीत सिंह की रालोद को 14 सीटें मिली थी।

सियासत में मोड़ तब आया जब 2003 में मायावती ने बीजेपी के कुछ फैसलों से नाराज होकर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, नतीजन सरकार गिर गई।

एक्टिव हुई थी सपा

बीजेपी की गठबंधन सरकार गिरने के साथ ही मुलायम सिंह की सपा एक्टिव हो गई। वो राज्यपाल के पास पहुंचे। मुलायम के पास बसपा के 13 विधायकों का सपोर्ट था। लेकिन मायावती ने सब रोकने के लिए विधानसभा में बीजेपी के बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी ने बसपा की याचिका को किनारे किया और मुलायम को सीएम बनने की हरी झंडी दिखा दी। सरकार बनी तो बसपा में भी तोड़ शुरू हो गया और बसपा के कुछ विधायक बसपा से सपा में आ गए।

2003 में मुलायम सिंह के हाथ आई सत्ता

2003 में मुलायम सिंह सत्ता में आए और सपा की सरकार बनी, जिसकी मुख्य वजह यही है कि अगर बीजेपी के विधानसभा अध्यक्ष मायावती की सिफारिश मानकर सदन भंग कर देते या फिर बसपा के बागी विधायकों को तत्काल अयोग्य करार दे देते तो फिर मुलायम के हाथ सत्ता नहीं लगती।

यहां गौर करने वाली बात ये बी है कि तब मुलायम सिंह की सरकार को उनके दूसरे धुर विरोधियों ने भी सपोर्ट किया था। जिसमें अजीत सिंह के साथ ही वो कल्याण सिंह भी थे जो मुलायम सिंह को रामसेवकों की हत्या करने वाला रावण कहते थे। साथ ही जिन सोनिया गांधी को मुलायम सिंह ने 1999 में प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया था, उनकी कांग्रेस पार्टी ने भी उस सरकार को समर्थन दिया था।