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वाराणसी

तीन दशक बाद कश्मीरी हिंदुओं को मिला मोक्ष, काशी में अनुपम खेर ने किया पिंडदान

Anupam Kher in Varanasi: बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने फिल्म कश्मीर फाइल्स के दौरान खुद से किए संकल्प को पूरा किया।

वाराणसीJun 15, 2022 / 05:18 pm

Snigdha Singh

After 3 decades Kashmiri Hindus Pind Daan by Anupam Kher in Kashi

After 3 decades Kashmiri Hindus Pind Daan by Anupam Kher in Kashi

कश्मीर में हुए नरसंहार में हिंदुओ की निर्मम हत्या हुई। 1990 से शुरू हुए इस नरसंहार में सैकड़ो हिंदुओ मारे गए। घटना के 3 दशक बाद मोक्ष की नगरी काशी में इन्ही मृत हिंदुओ के आत्मा की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान हुआ। काशी के पिचाश मोचन तीर्थ पर बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कश्मीर में मारे गए हिंदुओ की आत्मा के शांति की लिए त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म का आयोजन हुआ। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर सहित देश के अलग अलग राज्यों से आए विद्वान और सन्त इस विशेष अनुष्ठान के साक्षी बने। इस अनुष्ठान में उन कश्मीरी ब्राह्मणों के परिजन भी शामिल हुए जिन्होंने अपनो की जान इस हादसे में गवाई थी।
सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना के सयुंक्त रूप से विशेष अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। काशी के विद्वान ब्राह्मणों के उपस्थिति में ये अनुष्ठान संपन्न हुआ। इस अनुष्ठान का आचार्यत्व पण्डित श्रीनाथ पाठक उर्फ रानी गुरु ने किया उनके साथ कन्हैया पाठक,सुरेश पाठक,मनोज पाठक, अमित पाठक,नारायण दत्त मिश्र,बालकृष्ण पांडेय,राकेश दुबे,कन्हैयालाल पंड्या,टंक प्रसाद भंडारी ने अनुष्ठान कराया।
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32 साल मिला मोक्षः अनुपम खेर

फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि आज का दिन उन कश्मीरी हिंदुओ के लिए जिन्होंने कश्मीर में हुए नरसंहार में अपनी जान गवाई। पूरे 32 साल बाद उन अतृप्त आत्माओं के मोक्ष की कामना से ये अनुष्ठान हुआ है। फिल्म कश्मीर फाइल्स के शूटिंग के वक्त ही मैंने निर्णय लिया था कि उन आत्माओं की शांति के लिए काशी में अनुष्ठान करूंगा।
1990 में शुरू हुआ नरसंहार

दरअसल, 1990 के दशक से कश्मीर में हिंदुओं खासकर कश्मीरी पंडितों के साथ नरसंहार की शुरुआत हुई थी। इस नरसंहार में साल दर साल सैकड़ो लोगो को मौत के घाट उतारा गया। इस बीच लाखों कश्मीरी पंडितों ने अपनी पूर्वजों के करोड़ो की समाप्ति छोड़ रिफ्यूजी कैम्पों में रहने को मजबूर हो गए।इन्ही अतृप्त आत्माओं की शांति के लिए सामाजिक संस्था आगमन और ब्रह्म सेना ने इस विशेष अनुष्ठान को किया है ताकि उन आत्माओं को मुक्ति मिल सके।

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