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Gyanvapi Temple: ज्ञानवापी मंदिर परिसर विवाद में मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित

ज्ञानवापी मंदिर परिसर विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। 15 फरवरी को कोर्ट में हुई दोनों पक्षों की बहस को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने ये फैसला सुरक्षित किया है।

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ज्ञानवापी मंदिर परिसर विवाद में मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित

ज्ञानवापी मंदिर परिसर विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
15 फरवरी को कोर्ट में हुई दोनों पक्षों की बहस को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने ये फैसला सुरक्षित किया है। 11 दिन में हुई 4 बार की सुनवाई में कोर्ट ने ये फैसला लिया। अब अगली सुनवाई पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।
हिंदू पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सीएस बैद्यनाथन ने इस मामले में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना था और साल 1993 तक हिंदू पक्ष ने यहां पर पूजा अर्चना की है। पूजा का आदेश मिलने और पूजा होने से मुस्लिम पक्ष के किसी भी अधिकार का हनन नहीं होता है। यह पूजा कोर्ट के आदेश से ही शुरू हुई है।
वहीं अपना पक्ष रखते हुए मुस्लिम पक्ष की तरफ से बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी ने कहा कि हिंदू पक्ष द्वारा सीपीसी 151 और 152 को ठीक ढंग से प्रस्तुत नहीं किया गया है।उन्होंने दलील दी कि जब व्यास परिवार ने पूजा के अधिकार को काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया था तो उन्हे अर्जी देने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं डीएम पहले से ही काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के पदेन सदस्य हैं तो उन्हें रिसीवर कैसे नियुक्त किया जा सकता है।
आपको बता दें कि वाराणसी जिला मजिस्ट्रेट ने 30 साल से व्यास जी के तहखाने में बंद पूजा को फिर से शुरू करने का आदेश दिया था।
इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।
अब देखना ये है कि हाई कोर्ट इस मामले में क्या फैसला करता है।