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स्कंदगुप्त की कहानी की झलक बाहुबली फिल्म में दिखायी देती है
स्कंदगुप्त की कहानी की झलक बाहुबली फिल्म में दिखायी देती है। स्कंदगुप्त व हूणो की बीच भयंकर संघर्ष हुआ था। शुरूआती लड़ाई में स्कंदगुप्त की सेना को पीछे हटना पड़ा था लेकिन स्कंदगुप्त ने सेना का हौसला बढ़ाया और सभी को एकजुट कर लड़ाई लड़ी। गाजीपुर के सैदपुर में ही हूणों को चक्रव्यूह बना कर ऐसा घेरा कि उनका दुश्मनों का युद्ध के मैदान से पैर ही उखड़ गया। हूण के सेनापति बरबंड अटीला से सारी दुनिया डरती थी लेकिन उसे स्कंदगुप्त ने युद्ध के मैदान में ही मार डाला था इसके बाद हूणों की सेना भाग खड़ी हुई थी। कहा जाता है कि उस समय स्कंदगुप्त नहीं होते तो देश को हूणों के आतंक से बचाना मुश्किल होता। बाद में स्कंदगुप्त की वीरता को देखते हुए उन्हें विक्रमादित्य की उपाधि दी गयी।
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स्कंदगुप्त की कहानी की झलक बाहुबली फिल्म में दिखायी देती है। स्कंदगुप्त व हूणो की बीच भयंकर संघर्ष हुआ था। शुरूआती लड़ाई में स्कंदगुप्त की सेना को पीछे हटना पड़ा था लेकिन स्कंदगुप्त ने सेना का हौसला बढ़ाया और सभी को एकजुट कर लड़ाई लड़ी। गाजीपुर के सैदपुर में ही हूणों को चक्रव्यूह बना कर ऐसा घेरा कि उनका दुश्मनों का युद्ध के मैदान से पैर ही उखड़ गया। हूण के सेनापति बरबंड अटीला से सारी दुनिया डरती थी लेकिन उसे स्कंदगुप्त ने युद्ध के मैदान में ही मार डाला था इसके बाद हूणों की सेना भाग खड़ी हुई थी। कहा जाता है कि उस समय स्कंदगुप्त नहीं होते तो देश को हूणों के आतंक से बचाना मुश्किल होता। बाद में स्कंदगुप्त की वीरता को देखते हुए उन्हें विक्रमादित्य की उपाधि दी गयी।
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