वाराणसी. नोएडा के बाद बनारस के पुलिस थाने का भी रेट निर्धारित हो गया है। सीमावर्ती थानों का तीन से पांच लाख रुपये का रेट निर्धारित है। इसका खुलासा मिर्जामुराद थाने के कारखास का ऑडियो वायरल होने के बाद हुआ है। एसएसपी आंनद कुलकर्णी ने प्रशासनिक आधार पर मिर्जामुराद थाना प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया है और वायरल ऑडियो की जांच प्रशिक्षु आईपीएस व कैंट सीओ डा.अनिल कुमार को सौंपी गयी है। जांच रिपोर्ट आने के बाद सारी चीजे स्पष्ट हो जायेगी।
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नोएडा में थाने का रेट कार्ड वायरल होने के बाद हड़कंप मचा था। कई लोगों पर कार्रवाई हुई थी। नोएडा के बाद अब बनारस के साथ अन्य जिलों के समीवर्ती क्षेत्र के थाने का रेट कार्ड चर्चा का विषय बना हुआ हैं। पशु तस्करों ने तीन से पांच लाख देकर पुलिसकर्मियों को अपने साथ मिला लिया है और आराम से पशु तस्करी कर रहे हैं। इसका एक उदाहरण मिर्जामुराद थाने के कारखास का वॉयरल ऑडियो सुनने के बाद मिल रहा है जिसमें पशु से भरे ट्रक को छुड़ाने के लिए 2.50 लाख की मांग हो रही थी। कथित तस्कर 2.20 लाख देने को तैयार था। तस्कर यह भी कह रहा था कि रविवार पड़ जाने के चलते पैसों का इंतजाम करने में दिक्कत हुई थी इसलिए इतना ही जुगाड़ कर पाया हूं। थाने का कारखास लगातार कह रहा था कि अब उसके हाथ में कुछ नहीं रह गया है। चर्चा है कि थाने में दो दिन से ट्रक को पकड़ कर रखा गया था लेकिन ऑडियो वायरल होते ही ट्रक से पशुओं की बरामदगी दिखाते हुए पुलिस ने तीन लोगों का चालान कर दिया था।
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सीमावर्ती थानों के फिक्स है रेट, पशु तस्करी नहीं करने देने पर छीन जाती थानेदारी
सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में भी पशु तस्करों के हौसले बुलंद है। बनारस के लंका, मिर्जामुराद, रोहनिया, चंदौली, भदोही, इलाहाबाद आदि जिले के समीवर्ती पुलिस थाने हमेशा पशु तस्करों के निशाने पर रहते हैं। पशुओं से भरे वाहन को पास करने के बदले थानों को प्रति माह तीन से पांच लाख रुपया दिया जाता है यदि थानेदार ने पशु तस्करी पर सख्ती की तो उसका तबादला भी करा दिया जाता है। बड़ा सवाल यह है कि अखिलेश यादव व बसपा सुप्रीमो मायावती के शासनकाल में बीजेपी हमेशा ही पुलिस थानों के बिकने का आरोप लगाती थी लेकिन अब उसकी सरकार है और ऐसे आरोप अब खुद बीजेपी पर ही लग रहे हैं।
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