Varanasi News : दुर्लभ धूमकेतू निशिमुरा (Nishimura) को देखने और रिसर्च के लिए देश और दुनिया के वैज्ञानिक परेशान हैं। इसी बीच के एक होनहार ने यह तारा आसमान में ढूंढ निकाला है।
Varanasi News : काशी में Astro Boy के नाम से मशहूर कक्षा 11 के छात्र नेवेदांत पांडेय ने दुर्लभ धूमकेतू Nishimura (निशिमुरा) को काशी के आसमान में देखने का दावा किया है। साथ ही उसने अपने मोबाइल और टेलीस्कोप से इसकी तस्वीरें भी खींची हैं। छात्र के इस दावे ने NASA और ISRO का ध्यान उसकी ओर खींचा है। इस धूमकेतू पर कई वर्षों से रिसर्च चल रहा है। वेदांत के अनुसार यह धूमकेतू (Comet) 400 साल बाद देखा गया है और अब दोबारा फिर 400 साल बाद ही दिखेगा। वैज्ञानिकों ने 12 सितंबर को इसके पृथ्वी के करीब आने की बात कही थी।
कैसे हुआ ट्रैक
खगोल जिज्ञासु वेदांत पांडेय ने बताया कि उन्हें तारों और खगोलीय घटनाओं को देखने और पिक्चर लेने में बहुत मजा आता है। वेदांत ने तस्वीरें साझा करते हुए दावा किया है कि 'निशिमुरा' नाम का दुर्लभ धूमकेतू वाराणसी में 16 सितंबर को सूर्यास्त से लेकर करीब 45 मिनट तक दिखाई दिया था। उन्होंने टेलिस्कोप की मदद से करीब 15 मिनट तक इसे आसमान में देखा और इसकी तस्वीर भी ली। वेदांत का कहना है कि वाराणसी के आसमान में पश्चिमी छोर की ओर आसमान में यह कॉमेट दिखाई दिया। वेदांत ने बताया कि वो इस धूमकेतु को ट्रैक करने के लिए बीते 30 अगस्त से लगातार मेहनत कर रहे थे, जिसकी सफलता उन्हें 16 सितंबर को सूर्यास्त के बाद मिली।
400 साल बाद सामने आया था ऐसा दुर्लभ नजारा
वेदांत कहते हैं कि यह धूमकेतू करीब 400 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद दिखा है और आगे भी 400 साल के बाद दिखेगा। उन्होंने कहा कि इस धूमकेतू के दिखाई देने के बाद रिचर्स से यह पता चल जाएगा कि आने वाले समय में और भी कई धूमकेतू अपने समय में पृथ्वी के कितने करीब से गुजरने वाले हैं और वो बच पाएंगे या नहीं। वहीं जब यह धूमकेतु दिखाई दिया, उस समय ये पृथ्वी से 1844 स्टोनमिकल यूनिट की दूरी पर था।
कर्मकांडी परिवार से आते हैं वेदांत
वेदांत वाराणसी के इम्पीरियल पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं और ऐस्ट्रोनॉमी में उनकी काफी दिलचस्पी है। वह 11वीं क्लास के छात्र हैं और उनका दावा है कि वह अब तक ऐसी 4 गतिविधियों को देख चुके हैं। हैरानी की बात ये है कि उन्होंने खुद की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अपने टेलीस्कोप से अपने मोबाइल फोन को जोड़ लिया, जिससे वह ऐसी गतिविधियों की तस्वीरें खींच पाने में सफल हो पाते हैं। वेदांत का कहना है कि हमारे ऋषि मुनियों ने तपस्या से ऐसे तारों को खोजने में सफलता पाई थी और मैं नई तकनीक की मदद से यह कर पा रहा हूं।
धरती से इतनी दूर था तारा
वेदांत ने बताया कि यह पुच्छल तारा पृथ्वी से काफी करीब है। वहीं अभी सूर्य से करीब 33 मिलियन किलोमीटर की दूरी है, जैसे -जैसे समय बितेगा यह धूमकेतु पृथ्वी से लाखों किलोमीटर दूर चला जायेगा। वेदांत इस धूमकेतु को ट्रैक करने के लिए बीते 30 अगस्त से आसमान लगातार मेहनत कर रहे थे जिसकी सफलता उन्हें 16 सितम्बर को सूर्यास्त के बाद मिली।