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PCS अफसर कफन हटाते ही फफक-फफक कर रोए; बोले- मैं अपने बेटे को चिप्स तक नहीं खिला सका

PCS officer children death : वाराणसी के एक PCS अफसर के बेटा-बेटी, सास और साढ़ू के बच्चे की मौत हो गई। हादसा कमरे में अंगीठी रखने की वजह से हुआ।

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बच्चों के शव से कफन हटाते ही रोए PCS अफसर, PC- Patrika

वाराणसी : बिहार के छपरा शहर में कड़ाके की ठंड से बचने के लिए जलायी गई अंगीठी एक परिवार के लिए मौत का कारण बन गई। बंद कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड गैस फैलने से चार लोगों की दम घुटने से मौत हो गई, जिनमें तीन मासूम बच्चे और उनकी नानी शामिल हैं। तीन अन्य सदस्यों की हालत गंभीर है और वे वेंटिलेटर पर हैं।

यह हादसा 26 दिसंबर की रात छपरा के भगवान बाजार थाना क्षेत्र की अंबिका कॉलोनी में हुआ। वाराणसी में तैनात अपर जिला सहकारी अधिकारी (PCS) विजय कुमार सिंह की पत्नी अमीषा देवी ठंड की छुट्टियों में अपने दोनों बच्चों—3 साल के तेजस और 4 साल की अध्याय—को लेकर ननिहाल आई थीं। यहां उनकी बहन अंजलि देवी और अन्य परिजन भी थे।

मरने वालों में PCS अफसर विजय सिंह का बेटा तेजस, बेटी अध्याय, साढ़ू की बेटी गुड़िया और सास कमलावती शामिल हैं। तीनों बच्चे मौसेरे भाई-बहन हैं। वहीं विजय की पत्नी अमीषा, साली अंजलि और साला अमित गंभीर रूप से घायल है।

डॉक्टर ने बच्चों को ठंड से बचने की दी थी सलाह

परिजनों के अनुसार, बच्चों को हल्का बुखार था। डॉक्टर से चेकअप कराया गया और ठंड से बचाव की सलाह मिली। शाम को खाना खाने के बाद ठंड से बचने के लिए नानी कमलावती देवी ने अंगीठी जला दी। इसमें धान का भूसा और गोबर के उपले डाले गए ताकि देर तक गर्मी बनी रहे।

घर के बड़े हॉल में सभी एक साथ सोए- नानी, दोनों बहनें, अमित और तीनों बच्चे। कमरा पूरी तरह बंद था, वेंटिलेशन नहीं था। रात 10 बजे के बाद अन्य परिजन अलग कमरे में सोने चले गए।

सुबह देर तक कोई नहीं उठा। जब दरवाजा खोला गया तो कमरा धुएं से भरा था। सभी बेहोश पड़े थे। पड़ोसियों की मदद से सभी को छपरा सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां चार को मृत घोषित कर दिया गया। बाकी को पटना रेफर किया गया।

कफन हटाते ही छलका पिता का दर्द

सूचना मिलते ही वाराणसी से विजय कुमार सिंह छपरा पहुंचे। अस्पताल में बच्चों के शव देखकर वे फफक-फफक कर रो पड़े। बार-बार कफन हटाकर बच्चों का चेहरा देखते रहे और रोते हुए बोले, अभी तीन दिन पहले ही उन्हें नानी के यहां छोड़ा था। जाने लगा तो बेटा तेजस जिद करने लगा कि पापा चिप्स खानी है। मैंने कहा था- अब आऊंगा तो चिप्स लेकर आऊंगा। लेकिन मैं अपने बच्चे को चिप्स भी नहीं खिला सका… मेरा सब कुछ उजड़ गया। बच्चे नहीं रहे तो हम जिंदा रहकर क्या करेंगे? स्कूल में एडमिशन की तैयारी कर रहा था, आज ड्रेस की जगह कफन उठा रहा हूं।' यह दृश्य देखकर अस्पताल में मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं। गुड़िया के पिता दीपक भी बेटी को देखकर लगातार रोते रहे।

कैसे अंगीठी बनी मौत की वजह

अंगीठी से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस रंगहीन और गंधहीन होती है। बंद कमरे में यह धीरे-धीरे फैलती है और ऑक्सीजन की जगह ले लेती है। सोते हुए लोगों को पहले सुस्ती आती है, फिर गहरी नींद और अंत में दम घुटने से मौत। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर सबसे तेज होता है।

पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। बच्चों का पोस्टमॉर्टम परिवार ने नहीं कराया, उनका अंतिम संस्कार शनिवार शाम छपरा में ही कर दिया गया। नानी कमलावती देवी का संस्कार रविवार को हुआ।