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बाहुबली नेता ने अबु आजमी के खास की जमीन पर किया था कब्जा, मुलायम ने खाली करने को कहा तो छोड़ी थी पार्टी

बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड में भी यह बाहुबली नेता आरोपी था, बाहुबली भाई से भी अधिक दबंग हैं नेता

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Bahubali Umakant Yadav

Bahubali Umakant Yadav

वाराणसी. बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड में भी यह बाहुबली नेता आरोपी था। अपने भाई से अधिक बाहुबली इस नेता ने सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबु आजमी के खास की जमीन पर कब्जा कर लिया था। मुलायम सिंह ने जब बाहुबली नेता से जमीन छोडऩे को कहा तो उसने पार्टी ही छोड़ दी थी। लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर यह बाहुबली बसपा के टिकट से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहा है यदि उसे टिकट मिल जाता है तो चुनाव हराना आसान नहीं होगा।
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हम बात कर रहे हैं कि बीजेपी के बाहुबली नेता रमाकांत यादव के भाई उमाकांत यादव की। पूर्वांचल में रमाकांत यादव से बड़ा बाहुबली उमाकांत यादव का माना जाता था। उमाकांत यादव पर कई अपराधिक मुकदमे दर्ज थे और 1991 में पहली बार उमाकांत यादव ने राजनीति करनी शुरू कर दी थी। बसपा से विधानसभा का टिकट मिला था और मौके का लाभ उठाते हुए उमाकांत यादव ने जौनपुर के खुटहन से पहली बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद राम मंदिर लहर के बाद बीजेपी के उफान को रोकने के लिए सपा व बसपा ने 1993 में गठबंधन किया था और गठबंधन के तहत उमाकांत यादव को फिर से विधानसभा का टिकट मिला था इस बार भी उमाकांत यादव ने खुटहन से चुनाव जीत कर अपनी बादशाहत कायम की थी। इसके बाद 1995 में बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ गेस्ट हाउस कांड हुआ था जिसमे रमाकांत के साथ उमाकांत यादव को भी आरोपी बनाया गया था। सपा व बसपा का गठबंधन खत्म होते ही उमाकांत यादव ने सपा ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद हुए चुनाव में उमाकांत यादव फिर से विधायक चुने गये थे। तीन बार से विधायक चुने गये उमाकांत यादव का राजनीति में वर्चस्व के साथ क्षेत्र पर भी प्रभाव बढऩे लगा था इसी बीच उमाकांत यादव पर सपा के महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष अबु कासिम आजमी के रिश्तेदार की जमीन कब्जा करने का आरोप लग गया। मामला सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के पास पहुंचा था इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने उमाकांत को बुला कर कहा था कि तुरंत ही जमीन को खाली कर दें। जमीन छोडऩे की जगह उमाकांत यादव ने सपा को ही छोड़ दिया था।
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चुनाव में मिली हार तो थामा बसपा का दामन
उमाकांत यादव ने सपा छोडऩे के बाद बीजेपी व जदयू गठबंधन से वर्ष 2002 में खुटहन से ही विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन बसपा प्रत्याशी शैलेन्द्र यादव ललई ने उमाकांत यादव को पटखनी दे दी थी। इसके बाद उमाकांत यादव ने बसपा का दमान थाम लिया था और वर्ष 2004 में पहली बार मछलीशहर सीट से सांसद बने थे। इस चुनाव में जेल में रहते हुए भी बाहुबली नेता ने बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी को मात दी थी। इसके बाद उमाकांत यादव का राजनीतिक करियर कुछ खास नहीं था और अब फिर से सपा व बसपा गठबंधन से टिकट पाकर जौनपुर से चुनावी मैदान में ताल ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं।
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उमाकांत यादव का है अपराधिक रिकॉर्ड, जौनपुर की अदालत से मिल चुकी है सात साल की सजा
उमाकांत यादव का आपराधिक रिकॉर्ड है। जमीन कब्जा करने के आरोप में जौनपुर की अदालत ने उमाकांत यादव को सात साल की सजा सुनायी थी। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद से वह फिर से सक्रिय हो गये थे। इसके बाद कई मामलों में उमाकांत जेल की हवा खा चुके हैं। अब देखना है कि संसदीय चुनाव 2019 में बाहुबली नेता का राजनीतिक लक्ष्य क्या होगा।
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