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बड़ी उपलब्धिः UP का पहला शहर बना बनारस जहां गोबर से निर्मित CNG से चलेंगे वाहन

उम्मीद है वाराणसी के वायु प्रदूषण पर बहुत जल्द नियंत्रण होगा। दरअसल अक्टूबर 2021 में जिस बायोगैस प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था वहां से अब न केवल गोबर से सीएनजी का निर्माण शुरू हो गया है बल्कि उसकी बिक्री का लाइसेंस भी मिल गया है। ऐसे में बनारस यूपी का पहला शहर होगा जहां गोबर से निर्मित सीएनजी से वाहन चलेंगे।

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वाराणसी के शहंशाहपुर स्थित बायोगैस प्लांट जहां से अब गोबर से बनने और बिकने लगी सीएनजी

वाराणसी के शहंशाहपुर स्थित बायोगैस प्लांट जहां से अब गोबर से बनने और बिकने लगी सीएनजी

वाराणसी. बनारस शहर के लिए बड़ी उपलब्धि है, कि यहां की आबो हवा को बेहतर रखने यानी प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वाहन सीएनजी से दौड़ेंगे। हालांकि सीएनजी स्टेशन वाराणसी में पहले से है पर अब गोबर गैस से बनी सीएनजी का प्रयोग आरंभ होगा। इसके लिए शहंशाहपुर में पहला कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट से व्यावसायिक उत्पादन आरंभ हो गया है। ये यूपी का पहला प्लांट है जहां गोबर से निर्मित बायोगैस का उत्पादन आरंभ हुआ है। इसका निर्माण अ़डाणी समूह ने कराया है। यहां ये भी बता दें कि गत वर्ष 25 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्धाटन किया था। अब इस प्लांट से गोबर से बनी सीएनजी के वाहनों में भरे जाने से बनारस की आबो हवा भी प्रदूषित होने से बचेगी।

बायोगैस प्लांट से सीएनजी का व्यावसायिक उत्पादन शुरू

शहंशाहपुर स्थित बायोगैस प्लांट में सीएनजी का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया है। शुक्रवार को 44 किलो सीएनजी कैस्केड भरे गेल वाहन को रवाना किया गया। गेल ने सीएनजी भरे कैस्केड रिंग रोड स्थित एसआरएम एनर्जी प्लांट पर लगा भी दिया। अब यहां से वाहनों में सीएनजी भरा जाएगा। बता दें कि अडाणी समूह ने 24 करोड़ की लागत से इसका निर्माण कराया है। एक साल में ये प्लांट बन कर तैयार हुआ और तीन दिन पहले ही बिक्री का लाइसेंस प्राप्त हुआ। बायोगैस की बिक्री के लिए गैस अथारिटी ऑफ इंडिया (गेल) के साथ समझौता हुआ है। यहां ये भी बता दें कि इस प्लांट का उद्घाटन तो अक्टूबर 2021 में ही हो गया था लेकिन लाइसेंस न मिलने से बिक्री का काम रुका हुआ था।

300 किलो प्रतिदिन उत्पादन की है क्षमता

प्रोजेक्ट मैनेजर नवीन मेधा के अनुसार 300 किलो प्रतिदिन के उत्पादन की क्षमता है इस प्लांट की। वो बताते हैं कि 300 किलो सीएनजी उत्पादन के लिए रोजाना 90 टन गोबर की खबत होगी। ये भी बताया कि 3000 किलो सीएनजी 300 कारों में भरी जा सकेगी क्योंकि एक कार में औसतन 10 किलो सीएनजी भरी जाती है।

बढ़ेगी वाहनों का माइलेज

उन्होंने बताया कि इसके प्रयोग से वाहनो की माइलेज भी बढ़ेगी। वजह ये कि इस सीएनजी में 95 फीसद मिथेन होता है जबकि दूसरी सीएनजी में मीथेन, प्रोपेन व ब्यूटेन भी होते हैं। बताया कि बायोगैस मे जैविक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। फिर उसे शुद्ध कर उच्च स्तर पर कंप्रेस्ड किया जाता है ताकि वाहन में भरा जा सके।