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भैरवाष्टमी पर करे काल भैरव के दर्शन, जन्मों के पापों से मिलेगी मुक्ति

महाकाल हुए खुश तो सफलता का मार्ग होगा प्रशस्त, जानिए क्या है कहानी

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Baba Kaal Bhairav

Baba Kaal Bhairav

वाराणसी. यदि आप ग्रह दशा से परेशान है। शत्रु आपके राह में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है जीवन में हताशा है और मुकदमों ने परेशान कर रखा है। इन सब समस्याओं से आपको मुक्ति मिल सकती है। भगवान शिव के रौद्र रुप बाबा काल भैरव का भैरवाष्टमी के दिन दर्शन करने से सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। इस बार भैरवाष्टमी ११ नवम्बर को पड़ रही है। काशी में स्थित बाबा काल भैरव में भैरवाष्टमी के दिन खास पूजा होती है।
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काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव मंदिर में खुद शिव के रौद्र रुप महाकाल स्वंय आकर विराजमान हुए है। काल भैरव मंदिर में साल का सबसे बड़ा पर्व भैरवाष्टमी ही होता है। मार्गशीष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही भैरवाष्टमी मनायी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन बाबा काल भैरव का धरती पर अवतरण होता है। काल भैरव मंदिर में रात १२ बजे से २बजे तक बाबा काल भैरव का प्राकट्य रुप का दर्शन मिलता है। ऐसा दर्शन इस दिन के अलावा कभी नहीं मिल पाता है।
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IMAGE CREDIT: Patrika

काल भैरव ने हाथ के नाखून से काटा था ब्रह्मा का सिर
धार्मिक मान्यातओं के अनुसार ब्रह्मा के पांच मुख होते थे। एक बार ब्रह्मा ने अपने पांचवे मुख से भगवान शिव के बारे गलत बात कह दी थी जिससे भगवान शिव बहुत नाराज हुए थे और उन्होंने काल भैरव को उत्पन्न किया था। भगवान शिव ने काल भैरव से कहा था कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो। इसके बाद काल भैरव ने अपने सबसे छोटी उंगली के नाखून से ब्रह्मा के पांचवे मुख का काट दिया था इसके बाद काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का पाप चढ़ गया था। काल भैरव के हाथ से ब्रह्मा का मुख चिपक गया था। शिव के रौद्र रुप होने के चलते बाबा काल भैरव जहां पर जाते थे उनकी अग्रि से सब कुछ भस्म हो जाता था। तीनों लोक में हाहाकार मच गया था। इसके बाद बाबा काल भैरव ने भगवान शिव से अपनी समस्या बतायी। इस पर भगवान शिव ने कहा कि तुम मेरी नगरी काशी जाओ, वहां पर सारी समस्या का समाधान हो जायेगा। काशी के लोगों को पापों से मुक्त करके मोक्ष की राह प्रशस्त करना। इसके बाद बाबा काल भैरव ईश्वरगंगी के पास लाट भैरव कुंड पहुंचे। यहां पर बाबा के हाथ से ब्रह्मा को सिर गिर गया। इसके बाद बाबा काल भैरव ने अपने हाथों से यहां पर कुंड का निर्माण किया। नहाने के बाद भैरवनाथ पहुंचे। यहां पर बाबा काल भैरव को सुई बराबर ही जमीन मिल पायी। इसके चलते बाबा ने एक पैर का अंगुठा यहां पर रखा और दूसरा पैर श्वान पर रख दिया। भैरवनाथ में विराजमान होने के बाद काल भैरव का रुप चन्द्रमा जैसा शीतल हो गया। देश व विदेश से यहां पर लोग काल भैरव मंदिर में दर्शन करने आते हैं और जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
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काशी में है भैरव के विभिन्न मंदिर
काशी में काल भैरव व बटुक भैरव के अतिरिक्त आस भैरव, दंडपाणी भैरव, आदि भैरव, भूत भैरव, लाट भैरव, संहार भैरव, क्षत्रपाल भैरव का मंदिर है। जहां पर भैरवाष्टमी के दिन उत्सव का माहौल रहता है। काल भैरव का दर्शन रविवार व मंगलवार को करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।
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भैरव की पूजा में इन बातों का रखे ध्यान
काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव प्रसन्न हो गये तो आपके जीवन में आने वाले सभी कष्ट खत्म हो जायेंगे। गृहस्थ व्यक्ति को तामसी विधि से भैरव की पूजा करने से बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त किसी के विनाश के लिए भी भैरव की पूजा नहीं करनी चाहिए।
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काल भैरव की पूजा से लाभ
काल भैरव की पूजा भैरवाष्टमी के दिन रात में १२ बजे से होती है। इस दिन उपवास रख कर रात भर जागते हुए भैरवाष्टक का पाठ करने से बहुत लाभ मिलता है। शनिराहु ग्रह ठीक नहीं है तो भैरवाष्टमी की रात की गयी पूजा बहुत फलदायी साबित होती है। काल भैरव की पूजा में एक बात ध्यान देना चाहिए कि किसी जानकार से पूछने के बाद ही नियमो के अनुसार पूजा करनी चाहिए। भैरव नाराज हो गये तो नुकसान उठाना भी पड़ सकता है।
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क्या कहते हैं काल भैरव के सेवक
काल भैरव मंदिर में बाबा के सेवक पंडित राजेश मिश्र ने बताया कि भैरवाष्टमी सबसे महत्वपूर्ण पर्व होता है। रात में १२ बजे से बाबा का विशेष दर्शन मिलता है और रात में तीन बजे सवा लाख बत्ती से बाबा की शयन आरती होती है। ऐसे और दिन नहीं होता है। भैरवाष्टमी के दिन बाबा के दर्शन करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।
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