
बीएचयू
डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नए कुलपति के नाम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बार फिर से आरएसएस से जुड़े ही कोई कुलपति आने के पूरे आसार हैं। इसे लेकर कई वरिष्ठ प्रोफेसर से लेकर पूर्व कुलपति तक बीएचयू का दौरा भी कर चुके हैं। परिसर में लगने वाली शाखाओं तक में शामिल हो चुके हैं। ऐसे लोगों के नाम को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इस बीच बीएचयू के कई वरिष्ठ प्रोफेसरों ने भी ताल ठोंक रखी है। हालांकि अभी केवल विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति पद का विज्ञापन ही निकला है। सर्च कमेटी का गठन होना बाकी है। वैसे कुलपति पद के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल पूरा होने की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है दावेदारों की तादाद बढ़ती जा रही है। सूत्रों की मानें तो इस बार कोशिश यह है कि जो भी कुलपति हो वह अपने विषय का ज्ञाता हो साथ ही कुशल प्रशासनिक क्षमता वाला हो। लेकिन इतना तय है कि कुलपति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से ही जुड़ा होगा। सबसे मजेदार चर्चा यह है कि नया कुलपति वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद का होगा या सीधे तौर पर इस निुयुक्ति में सिर्फ और सिर्फ आरएसएस की दखलंदाजी होगी।
इस बीच चर्चाओं में हिमांचल यूनिवर्सिटी, शिमला के पूर्व कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी, अखिल भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद की वर्तमान अध्यक्ष और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सदस्य प्रोफेसर सुषमा यादव, महाराजा सयाजीराव विवि वड़ोदरा के पूर्व कुलपति एवं शिक्षाविद प्रो केसी मेहता के नाम तेजी से सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि प्रो. वाजपेयी तो हाल ही में बीएचयू भी आए थे और आरएसएस की सुबह लगने वाली शाखा में शामिल हुए थे। इसकी जानकारी होते ही परिसर में इनके नाम की चर्चा ने जोर पकड़ लिया। सूत्र बताते हैं कि जहां तक प्रो. सुषमा यादव का सवाल है तो विश्वविद्यालय की एक लॉबी ही लगी है इन्हें वीसी बनवाने में। बाकायदा इसके लिए प्रस्ताव तक तैयार कराए गए है। लेकिन प्रधानमंत्री के गृह प्रदेश के प्रो. मेहता भी किसी से कमतर नहीं आंके जा रहे।
वैसे इस दौड़ में बीकानेर विश्वविद्यालय की कुलपति रह चुकीं बीएचयू की प्रो. चंद्रकला पाडिया के नाम की भी चर्चा जोरों पर है। उनकी अलग पहचान है। वह कई शैक्षणिक निकायों की सदस्य भी रही चुकी हैं। पर बताया जा रहा है कि उन्हें फिलहाल मायूसी हाथ लगी है। इनके अलावा बीएचयू के विज्ञान संस्थान में बायोकेमिस्ट्री के प्रोफेसर व विलासपुर के गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी तथा भागलपुर विवि के पूर्व कुलपति रह चुके प्रो. आरएस दुबे के नाम की भी चर्चा है। साथ ही सामाज शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. अरविंद जोशी का भी नाम भी उछला है। बता दें कि प्रो. जोशी विश्वविद्यालय के कुशल चीफ प्रॉक्टर भी रह चुके हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि विश्वविद्यालय में जब कभी भी सुरक्षा को लेकर कोई संकट पैदा होता रहा तो पूर्व के वीसी प्रो. जोशी को ही याद करते रहे। सूत्रों के मुताबिक प्रो. रोयाना सिंह के पहले कुछ लोगों ने कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी से भी प्रो. जोशी को यह पद सौंपने का आग्रह किया था। इनके अलावा बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. ए वैशम्पायन, डॉ निशापति भूषण शुक्ल सहित दर्जन भर लोगों का नाम चर्चा में हैं।
बता दें कि कुलपति की चयन प्रक्रिया में सबसे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से तीन सदस्यीय सर्च कमेटी गठित होती है। इस कमेटी में एक अध्यक्ष तथा दो सदस्य होते हैं। कमेटी कुलपति के उम्मीदवारों का परीक्षण करती है तथा सूची बनाकर साक्षात्कार करवाती है। साक्षात्कार के बाद तीन से पांच लोगों के नाम एमएचआरडी को सौंप देती है। एमएचआरडी इन नामों को भारत के राष्ट्रपति (केंद्रीय विश्वविद्यालयों के पदेन विजिटर) के पास संस्तुति के लिए भेज देता है। राष्ट्रपति किसी एक नाम की संस्तुति कुलपति के लिए करते हैं। कुलपति पद के लिए उच्च शैक्षिक योग्यता वाले उन प्रोफेसर को चुना जाता है जिनके पास कम से कम दस वर्ष का अनुभव हो।
Published on:
20 Oct 2017 02:28 pm
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