
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की अमृत फार्मेसी,बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की अमृत फार्मेसी जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने 2016 में किया था,बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की अमृत फार्मेसी
वाराणसी. बनारस ही नहीं समूचे उत्तर भारत से आने वाले मरीजों की चिंता करने वाले, बनारस में पृथक एम्स के लिए अनवरत संघर्षरत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ ओमशंकर ने अब परिसर स्थित अमृत फार्मेसी के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने इस फार्मेसी को अवैध करार दिया है। साथ ही कहा है कि ये फार्मेसी हट जाए तो मरीजों का बहुत बड़ा आर्थिक लाभ होगा।
हृदय रोग विभाग की ओटी में है ये फार्मेसी
बता दें कि ये अमृत फार्मेसी जिसका उद्धघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, वो हृदय रोग विभाग के ऑपरेशन थिएटर में स्थित है। डॉ ओमशंकर का कहना है कि ये फार्मेसी विगत छह साल से अवैध रूप से संचालित हो रही है। इस दुकान के लिए न तो तत्कालीन विभागाध्यक्ष की अनुमति ली गई है, न दुकान संचालक के पास ड्रग लाइसेंस हैं।
फार्मसी को जारी किया नोटिस
हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष के तौर पर डॉ शंकर ने गत 22 अप्रैल को फार्मेसी को नोटिस जारी कर दिया है। बजरिए नोटिस उन्होंने 72 घंटे में जगह खाली करने को कहा था। लेकिन फार्मेसी अब तक वहीं ऑपरेशन थिएटर में संचालित हो रही है। इस मसले पर प्रो. ओमशंकर ने कहा कि इनके हटने के बाद विभाग में एंजियोप्लास्टी में होने वाले खर्च में एक-तिहाई की कमी हो सकती है।
केवल भूतल वाली दुकान का है आवंटन, एमएस की मिली भगत का आरोप
प्रो. ओमशंकर का कहना है कि अमृत फार्मेंसी के लिए भूतल पर एक जगह निश्चित की गई है। उसी का लाइसेंस भी जारी है। इसके विपरीत फार्मेसी संचालक, एक लाइसेंस पर कई आउटलेट्स बनाते जा रहे हैं। ये सभी अवैध हैं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। प्रो. शंकर ने इस मामले को लेकर चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता पर भी मिलीभगत के आरोप लगाए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में किया था अमृत फार्मेसी का उद्घाटन
प्रो. ओमशंकर का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में इसे शुरू किया था। लेकिन, बीएचयू अस्पताल में यह कमाई और दलाली का अड्डा बन गया है। उन्होंने कहा कि जो स्टंट और गुब्बारा उनकी फार्मेसी में जिस दाम में मिल रहा है, उसे बीएचयू आधे दाम पर ही उपलब्ध करा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा ध्येय रोगियों की बाइपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी जैसे ऑपरेशन 30-35 हजार रुपए के भीतर कराने भर का है ताकि हर किसी को इसका लाभ मिल सके। मगर मौजूदा अस्पताल प्रशासन ऐसा करने में अड़गा लगा रहा है।
फार्मेसी में ऊंचे दाम पर मिलती हैं दवाएं
डॉ शंकर का आरोप है कि ये फार्मेसी, कंपनी से दवा ले कर उस पर दो बार हैंडलिंग चार्ज लगाकर मरीजों के परिजनों को ऊंची कीमत पर पर बेचती है। इसके चलते दवाएं महंगी होती जा रहीं हैं। कहा कि मरीज के तीमारदारों को दवा खरीद की पक्की रसीद भी नहीं दी जाती। ये साबित करता है कि यह एक अवैध आउटलेट है, जिसे यहां से तत्काल हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां पर कार्डियोलॉजी विभाग या बीएचयू की फार्मेसी होनी चाहिए ताकि मरीजों को किफायदी दर पर वाजिब दवा मिल सके।
बीएचयू के साथ हुए करार के तहत चल रही फार्मेसी
विभागाध्यक्ष की नोटिस के जवाब में अमृत फार्मेसी के प्रभारी का कहना है कि हमारा आउटलेट 2016 से ही कैथलैब के पास स्टंट और गुब्बारों की बिक्री कर रहा है। यह सुविधा यहां इसलिए दी गई क्योंकि कोई अनाधिकृत दुकानदार अपनी दुकानदारी न चला सके। प्रभारी का कहना है कि इस संबंध में बीएचयू और फार्मेसी के बीच करार हुआ है। उस करारनामे के तहत सभी दुकानें वैध हैं।
विभागीय संस्तुति जरूरीः डॉ ओमशंकर
इस पर प्रो. ओमशंकर ने कहा कि एमएस की अनुमति से अस्पताल में कहीं भी दुकान नहीं चला सकते हैं। यदि वह जगह किसी विभाग के अधिकार क्षेत्र में है तो आपको विभागाध्यक्ष की संस्तुति लेनी ही होगी। लेकिन फार्मेसी संचालक या प्रभारी की ओर से ऐसी कोई कार्रवाई पिछले छह साल से नहीं की गई है।
Published on:
26 Apr 2022 03:23 pm
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