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लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले पर भाजपा का फोकस

507 सदस्यीय टीम में हर जाति को स्थान देने की कोशिश। पीएम के संसदीय क्षेत्र का बोलबाला, कई पुरनियों की ससम्मान वापसी।

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बीजेपी फ्लैग

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डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी में जुटी बीजेपी इस बार कुछ अलग ढंग से तैयारी में जुटी है। केवल पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितों के समीकरण को साध कर पहले 2014 लोकसभा फिर 2017 विधानसभा चुनाव में फतह हासिल करने वाली बीजेपी ने इस बार सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले पर काम शुरू कर दिया है। इसका ताजा तरीन उदाहरण पार्टी के विशालकाय प्रांतीय कमेटी है। डॉ महेंद्र नाथ पांडेय के नेतृत्व वाली भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में लगभग हर जाति, हर समूह को तरजीह दी गई है। शायद ही कोई ऐसी जाति हो जिसे इस कार्यकारिणी में स्थान न मिला हो। मायने साफ हैं पार्टी हर बिरादरी को समान रूप से तवज्जो देते हुए इस चुनाव में उतरने जा रही है। खास यह कि इस बार सवर्णों को भी समान रूप से स्थान दिया गया है। कुछ पुरनियों की सम्मान वापसी भी हुई है। इस बार बड़ी तादाद में महिलाओ को भी संगठन में स्थान दिया गया है।

जातीय समीकरण

पार्टी सूत्रों के अनुसार डॉ पांडेय की 507 सदस्यीय टीम में सात ब्राह्मण, छह ठाकुर, छह दलित, पांच वैश्य, दो यादव, दो प्रजापति, एक खत्री ब्राह्मण, एक भूमिहार, दो गूजर, दो कुर्मी, दो सैनी, दो लोध, दो गड़ेरिया, दो मौर्य को शामिल किया गया है। यानी सवर्णों से लेकर अति दलित तो पदाधिकारी बनाए गए हैं। इसके अलावा जिन जातियों को पदाधिकारी बनने का मौका नहीं मिल पाया उन्हें 467 सदस्यी कार्यसमिति में स्थान दिया गया है।

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महिलाओं को खास तवज्जो

महिलाओं को खास तवज्जो मिला है। सूत्र बताते हैं कि पिछले तीन साल में ऐसा कभी नहीं देखा गया कि किसी प्रदेश कार्यसमिति में 49 महिलाओं को स्थान दिया गया है। यानी कुल कार्यसमिति की संख्या का लगभग 10 फीसदी स्थान महिलाओं को दिया गया है। ये है डॉ पांडेयकी सोशल इंजीनियरिंग। बता दें कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जब डॉ पांडेय को पार्टी की कमान संभालने को मिली थी तो उनके सामने साझा विपक्ष के समक्ष पार्टी को बहुमत दिलाने की बड़ी चुनौती थी लेकिन उन्होंने उसे बखूबी अंजाम तक पहुंचाया। बल्कि प्रचंड बहुमत के साथ पार्टी को सूबे की सत्ता पर काबिज किया। अब उनके समक्ष लोकसभा चुनाव फतह करने की और बड़ी चुनौती है।

पीएम मोदी के क्षेत्र को तरजीह

बताना यह भी है कि इस भारी भरकम प्रदेश कार्यसमिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र को काफी तरहजीह दी गई है। कार्यसमिति में जहां तीन उपाध्यक्ष, काशी क्षेत्र के अध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य, वरिष्ठ नेता शिवनाथ यादव और राकेश त्रिवेदी को उपाध्यक्ष बनाया गया है तो पूर्व मेयर कौशलेंद्र सिंह, पूर्व डिप्टी मेयर संजय राय और शंकर गिरि को मंत्री पद दिया गया है। यहां यह भी बता दें कि पूर्व मेयर कौशलेंद्र और पूर्व डिप्टी मेयर काफी दिनों से पार्टी की मुख्य धारा से दूर रहे। इन दोनों ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपनी अहमियत साबित की। साथ ही नगर निगम चुनाव में भी इन सभी की महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसके चलते भाजपा लगातार पांचवीं बार मेयर पद पर काबिज रहने में सफल हुई। ऐसे में इन पार्टी के प्रति निष्ठावान पुरनियों को फिर से संगठन में महत्वपूर्ण पद देकर डॉ पांडेय ने सभी को संतुष्ट करने की भी कोशिश की है। इन पदाधिकारियों के अलावा 17 अन्य लोगों को कार्यसमिति में स्थान दिया गया है।

परिवार और वंशवाद के निशाने से बचने का प्रयास

यही नहीं पार्टी ने नई कार्यकारिणी के गठन के दौरान इस बात पर गंभीरता से ध्यान दिया है कि किसी स्तर से परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप न लगे। इसी के तहत राजस्थान के गवर्नर और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजबीर सिंह को कार्यकारिणी में कोई पद नहीं मिला। कारण एक और भी है कि कल्याण सिंह के पौत्र संदीप पहले से ही योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्यमंत्री हैं।