डोगरा रेजिमेंट के जवानो की वीरता की एक और बड़ी कहानी 1971 के युद्ध से जुडी हुई है। पंजाब में डेरा बाबा नानक देव नाम का एक सीमावर्ती गाँव है जिसकी ओर पाकिस्तानी सेना बढ़ी आ रही थी इस गाँव से गुरुदासपुर ,बटाला और अमृतसर सीधे जुड़े हुए थे इस गाँव में गुरु नानक देव ने तक़रीबन अपने जिंदगी के 11 वर्ष बिताये थे इसलिए इस गाँव का सिखों के लिए अलग महत्त्व था। खैर अंततः डोगरा रेजिमेंट को इस गाँव के सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई । कर्नल एनएस संधू के नेतृत्व में रेजिमेंट की दो बटालियन गाँव की सुरक्षा में लग गई।6 दिसंबर को अचानक पाकिस्तानी सेना ने रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बूंद नदी पर बने बाबा नानक देव पुल की दूसरी तरह से अचानक फायरिंग शुरू कर दी ,कर्नल ने तत्काल मेजर भोपाल सिंह यादव को बूंद नदी और उसके ऊपर बने बूंद जंक्शन पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी और जवानों के साथ तुरंत मोर्चा संभालने को कहा। उधर पाकिस्तान ने अपनी सतलज रेंजर्स और 38 पंजाब के जवानो की भारी भरकम संख्या को लगा रखा था ,लेकिनसेपाय बागी, गुलवंत सिंह और भोपाल सिंह यादव समेत अन्य डोगरा जवानों की जवाबी फायरिंग में पाकिस्तानी सेना दो घंटों में ही चित्त हो गई और भारतीय सेना ने बूंद नहीं और जंक्शन पर कब्ज़ा कर लिया और डेरे पर पाकिस्तान का कब्ज़ा कभी सफल नहीं हो पाया।