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Chaitra Navratri : नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री के दर्शन का है विधान, काशी में यहां विराजती हैं मां

Chaitra Navratri : नवरात्रि के अंतिम दिन शहर के सभी दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। दुर्गाकुंड स्थित देवी कूष्मांडा के मंदिर में भक्त देर रात से ही दर्शन के लिए कतारबद्ध देखे गए। काशी में चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन गौरी स्वरुप में महालक्ष्मी के दर्शन का भी विधान है। भक्त लक्सा स्थित लक्ष्मी कुंड पर बने उनके अति प्राचीन मंदिर में मत्था टेक रहे हैं।

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Mata Siddhidatri Temple In Varanasi

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वाराणसी। वासंतिक नवरात्र या चैत्र नवरात्र की आज नवमी तिथि है। आज महिलाएं व्रत का पारण करेंगी। नवमी तिथि को पुराणों के अनुसार माता सिद्धिदात्री देवी के दर्शन का विधान है। धर्म की नगरी काशी में माता का अति प्राचीन मंदिर मैदागिन स्थित गोलघर में है। भक्त भोर से ही माता का दर्शन कर निहाल हो रहे हैं और माता से सिद्धि, सुख और शांति के साथ ही साथ सौभाग्य की कामना कर रहे हैं।

दुर्गा सप्तशती में है उल्लेख

मंदिर के पुजारी बच्चा लाल मिश्रा ने बताया कि नवरात्रि के अंतिम दिन सिद्धिदात्री या सिद्ध माता के दर्शन का विधान है। इसका उल्लेख दुर्गा सप्तशती में उल्लेख है कि नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता: यानी नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री का दर्शन। सुबह से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं।

सिद्धिदात्री के दर्शन से मिलता है नौ दुर्गा के दर्शन का पुण्य

पुजारी ने बताया कि नवरात्रि में यदि कोई रोजाना अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन नहीं कर पाता है तो वह नवमी को माता सिद्धिदात्री के दर्शन कर ले। उसे नौ दुर्गा के दर्शन का पुण्य मिलता है।

ऐसे पड़ा सिद्धिदात्री नाम

पुजारी ने बताया कि देवी सिद्धिदात्री सहज ही प्रसन्न होकर भक्तों को सर्व सिद्धि प्रदान करती हैं। इसलिए शास्त्रों में देवी को सिद्धिदात्री नाम से पुकारा गया। शिव महापुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और देवी पुराण के अनुसार भगवान शंकर को भी समस्त सिद्धियां माता सिद्धिदात्री की कृपा से ही प्राप्त हुई थीं।

पूजी जाएंगी कुंवारी कन्याएं और भैरव

काशी में आज के दिन जगह कुंवारी कन्याओं और भैरव का पूजन होगा। इस दौरान उनका विधिवत शृंगार कर उन्हें प्रसाद का भोग लगाया जाएगा।