
सीएम योगी ने वनटंगिया के साथ मनायी दिवाली
गोरखपुर. आज़ादी के बाद से विकास की बाट जोह रहे वनटांगिया परिवारों के जीवन के इस दीपावली विकास का दीया प्रज्जवलित किया गया। गांव में पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के पांच वनटांगिया वनग्राम को राजस्व ग्राम घोषित करते हुए प्रमाण पत्र दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच वनटांगिया गांव-जंगल तिकोनिया न.3, रजही खाले टोला, रामगढ़ सरकार आजाद नगर तथा चिलबिला, आमबाग के प्रधानों को राजस्व गांव का प्रमाण पत्र सौंपा। उन्होंने जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में आयोजित समारोह में 11 दिव्यांग जनों को ट्राइसाइकिल प्रदान किया तथा Hindu विद्यापीठ के छात्र छात्राओं को बैग, कापी, किताब, चाकलेट प्रदान कर परंपरागत रूप से हर साल की भांति दिवाली मनाई। उन्होंने अध्यापक चन्द्रदेव तिवारी, संदीप, संजय गुप्ता तथा संध्या को शाल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया।
महराजगंज के 15 वनग्राम जल्द बनेगा राजस्व गांव, महिलाओं को बनाएंगे आत्मनिर्भर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आश्वासन दिया कि शीघ्र ही महराजगंज के 15 वनटांगिया गांव को राजस्व गांव घोषित कर दिया जायेगा। इसके साथ वहां पर सभी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लोगों को मिलना शुरू हो जायेगा। उन्होंने ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि महिलाओं का स्वयं सहायता समूह गठित करके उन्हें पत्तल बनाने, सिलाई कढ़ाई सिखाने, बकरी पालन करने का कार्य शुरू करायें। मजदूर से मालिक बन रहे वनटांगिया लोग मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी वनटांगियाजन मजदूर से मालिक बनने जा रहे है, उनको समस्त सुविधाओं का लाभ दिलाना अधिकारी गण सुनिश्चित करें।
उन्होंने पिछले 100 वर्षों के दौरान नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष में अपनी जान गवाने वाले वनटांगियाजनों को श्रद्धांजलि अर्पित किया। उन्होंने जिलाधिकारी तथा डीएफओ को निर्देश दिया कि इनके गांव तक पहुंचने वाले मार्ग को बनाने के लिए प्रस्ताव करें। उन्होंने लोगों को दीपावली की शुभकामना देते हुए कहा कि भगवान राम के वनवास के समय यही निषाद, कोल भील, सबरी, बानर भालू उनके सहयोगी थे जो अब तक दीपावली मनाने से वंचित रहे। उन्होंने कहा कि इन लोगों को मानवाधिकार दिलाना तथा समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराना ही राम राज्य है। प्रदर्शनी देखी, लोगों का हाल जाना मुख्यमंत्री ने भारत स्वच्छता मिशन, वन, मत्स्य, ग्रामोद्योग, उद्यान, कृषि, समाज कल्याण, महिला कल्याण एंव ग्राम विकास विभाग की प्रदर्शनी को देखा।
मुख्यमंत्री नव निर्मित स्कूल भवन में भी गये तथा गांव में जाकर लोगों से उनका कुशल क्षेम पूछा। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में कल से बिजली आ रही है। तिंकोनिया को वित्त राज्य मंत्री ने लिया गोद, कराएंगे विकास भारत सरकार के वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने तिकोनिया जंगल न. तीन गांव को सांसद ग्राम विकास योजना के तहत गोद लेने की घोषणा किया। उन्होंने कहा कि यहां पर एक बैंक की शाखा भी खोली जायेगी। समारोह को सांसद कमलेश पासवान, जगदम्बिका पाल, विधायक महेन्द्रपाल सिंह, विपिन सिंह, शीतल पाण्डेय ने भी सम्बोधित किया। मण्डलायुक्त अनिल कुमार ने सभी का स्वागत किया तथा विकास योजनाओं की जानकारी दी। जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह का संचालन प्रदीप राव ने किया। पाचों वनटांगिया के प्रधान रामगणेश, परमात्मा, रामनयन निषाद, रणविजय सिंह मुन्ना, रमाशंकर निषाद ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा उनसे राजस्व गांव का प्रमाण पत्र प्राप्त किया।
इस अवसर पर आईजी मोहित अग्रवाल, डीआईजी नीलाब्जा चैधरी, एस.एस.पी सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज, सीडीओ अनुज सिंह, जनार्दन तिवारी, कामेश्वर सिंह, राहुल श्रीवास्तव, गोरखपुर तथा महराजगंज से आये हुए वनटांगिया जन व जन प्रतिनिधि तथा भारी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे। हर साल योगी आदित्यनाथ वनटांगिया बच्चों संग मनाते हैं दीपावली गोरखपुर के कुसुम्ही जंगल के तिकोनिया गांव में काफी संख्या में वनटांगिया परिवार रहते हैं। योगी आदित्यनाथ पिछले एक दशक से हर दीपावली इन वनटांगिया बच्चों के साथ दीपावली मनाते हैं। पढ़ने वाले बच्चों को पेन, कॉपी व अन्य पढ़ने वाली सामग्री के साथ पटाखे भी देते हैं। लेकिन इस बार लग रहा था कि यह सिलसिला टूटेगा।
पर मुख्यमंत्री इस बार न केवल इन परिवारों के बीच दीपावली मनाया बल्कि विकास का तोहफा भी दिया। कौन हैं ये वनटांगिया वनटांगिया किसान वह हैं जो जंगलों को सहेजने कई पीढ़ियों से काम कर रहे। टांगिया शब्द म्यांमार के टोंगिया शब्द का अपभ्रंश है। वहां की स्थानीय भाषा में इसे पहाड़ या खेत के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। पेड़ पौधे लगाकर पहाड़ियों का संरक्षण करने वाले टांगिया कहलाते हैं। भारत में अंग्रेजों ने वनों को संरक्षित करने और हरियाली के लिए बंधुआ मजदूरी कराते हुए वनों में ढेर सारे मजदूर लगाए। इनका काम वन क्षेत्र में पौधे लगाना और उनका संरक्षण करना था। पौधों के बीच बीच में नौ फ़ीट खाली इसके एवज में दी जाती थी। इस जमीन पर यह किसान/मजदूर अन्न उगाता था जिससे उसका भरण-पोषण होता था। यही परिवार वनटांगिया के रूप में आज भी जाने जाते हैं।
by DHIRENDRA VIKRAMADITYA GOPAL
Published on:
19 Oct 2017 06:31 pm
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