
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय
वाराणसी. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि विश्वविद्यालय में ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के लिए विशेषज्ञ समिति गठित कर दी गई है। इसके तहत विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालय स्तर पर क्रमश: समन्वयक और सहसमन्वयक बनाए गए हैं जो कि इसका पाठ्यक्रम तैयार कर 03 अगस्त तक कुलसचिव को सौंपेंगे। उन्होंने बताया कि इस बीच विश्वविद्यालय को 1 करोड़ 16 लाख रुपये 50 हजार रुपये का अनुदान स्वीकृत किया गया।
निशुल्क ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए समन्वयक व सहसमन्वयक की समिति
कुलपति प्रो हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने सम्पूर्ण पाठ्यक्रम के लिए क्रमश, प्रो हरिशंकर पांडेय(प्राकृत एवं जैनागम विभाग के आचार्य) को मुख्य समन्वयक तथा संस्कृत भाषा प्रशिक्षण के लिए संस्कृत विद्या विभाग के सहआचार्य को समन्वयक तथा इसमें 05 सह समन्वयक बनाए गए हैं। इसी क्रम में शास्त्र शिक्षण समन्वयक वेद विभाग के आचार्य प्रो महेंद्र पांडेय तथा उनके साथ दो सह सामान्यक,क्रमश: न्याय शास्त्र में प्रो रामपूजन पांडेय, तुलनात्मक धर्म दर्शन में प्रो हरिप्रसाद अधिकारी,वेदान्त मे प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, रामानुज वेदान्त मे प्रो सुधाकर मिश्र को, प्रो अमित शुक्ल को ज्योतिष,प्रो राघवेंद्र जी दुबे को योगतन्त्र आगम,प्रो ललित कुमार चौबे, प्रो कमला कान्त त्रिपाठी को मीमांसा, प्रो शंभू नाथ शुक्ल को रामानंद वेदान्त, डॉ दिनेश गर्ग को प्राचीन राजशास्त्र,डॉ विजय कुमार पांडेय को (साहित्य,धर्म शास्त्र,पुराणेतिहास), डॉ दिव्यचेतन ब्रह्मचारी को व्याकरण, प्रो रमेश प्रसाद को पाली एवं बौद्ध दर्शन, प्रो हरिशंकर पांडेय को प्राकृत एवं संस्कृत विद्या, सामान्यक, क्रमश: हिंदी में डॉ विद्या कुमारी चंद्रा, गृह विज्ञान में प्रो विधु द्विवेदी, राजनीति शास्त्र में प्रो राजनाथ, सामाजिक विज्ञान मे प्रो शैलेश कुमार मिश्र, शिक्षा शास्त्र में डॉ विशाखा शुक्ला, विज्ञान में प्रो जितेंद्र कुमार, ग्रन्थालय विज्ञान मे प्रो हीरक कांत चक्रवर्ती, विजय कुमार मणि त्रिपाठी को कंप्यूटर का समन्वयक बनाया गया है। सभी समन्वयकों के साथ सह-समन्वयक तथा इसके अतिरिक प्रदेश के संबद्ध संस्कृत महाविद्यालयों से प्रांतीय/मंडलीय सह-समन्वयक भी बनाए गए हैं। सभी समिति को बताया गया हैं कि संबद्ध विषय का पाठ्यक्रम ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण /शास्त्र प्रशिक्षण त्रैमासिक/षडमासिक एवं एक वर्षीय सर्टिफ़िकेट कोर्स/डिप्लोमा कोर्स का पाठ्यक्रम 30 जुलाई तक तैयार कर विभागीय व संकाय अध्ययन मंडल की बैठक कर 03 अगस्त तक शासन को अवगत करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को उपलब्ध कराएं।
ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण माध्यम से शास्त्रों में जनसामान्य की रुचि में अभिवृद्धि होगी
कुलपति हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि यह परियोजना उच्च शिक्षा विभाग , उत्तर प्रदेश शासन की 100 दिन की कार्ययोजना में सम्मिलित है । संस्कृत भाषा तथा शास्त्रों में जनसामान्य की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय,वाराणसी का महत्वपूर्ण योगदान है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार ऑनलाइन एजुकेशन शिक्षा का पर्याय न होते हुए भी शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक हुआ है । प्राचीन अध्यापन पद्धति अपने आप में विशिष्ट है बहुत तथापि यान्त्रिक विकास ने यन्त्रों के माध्यम से विषय बोध तथा सम्प्रेक्षण जो सम्भावना प्रस्तुत की है , उसका उपयोग शिक्षा में भी होना चाहिए । नवीन यन्त्रों के माध्यम से शिक्षण पद्धति को और भी सरल करने की आवश्यकता है ।
ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र में आमजनमानस के लिए पाठ्यक्रम
ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र से सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के नियमित शिक्षकों के साथ अन्य राज्य विश्वविद्यालयों , निजी विश्वविद्यालयों , राजकीय महाविद्यालयों , अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों एवं स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के नियमित शिक्षकों के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा । इस संस्था द्वारा ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से आम जनमानस में संस्कृत सम्भाषण प्रशिक्षण , समस्त शास्त्र प्रशिक्षण एवं योग , वास्तु शास्त्र , ज्योतिष , कर्मकाण्ड , तीर्थ पुरोहित अर्थक विषयों में ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा तथा सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा प्रदान किए जायेंगे । प्रथम वर्ष 2022-23 में लगभग 2000 छात्रों , द्वितीय एवं तृतीय वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में लगभग 3,000 छात्रों एवं चतुर्थ एवं पांचवें वर्ष 2025-2026 से 2026-27 तक प्रतिवर्ष लगभग 10,000 से 60,000छात्रों को ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है।
ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्य पर मानदेय व्यय
कुलपति ने बताया कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में स्थापित किए जाने वाले ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र से प्रतिदिन 20 कक्षाएं संचालित होने पर प्रति व्याख्यान प्रति शिक्षक को रू ० 500 / - का मानदेय दिए जाने पर 180 दिन के लिए रू 54.00 लाख वार्षिक व्ययभार अनुमानित होगा । लैब स्थापना के लिए रू 47.00 लाख , लैब संचालन से संबंधित सामग्री के लिए रू 5.00 लाख , कम्प्यूटर ज्ञाता को मानदेय के लिए रू 0 3.00 लाख व 02 यन्त्र सहायक के मानदेय के लिए रू 06.00 लाख वार्षिक व्ययभार अनुमानित है । इसके अतिरिक्त परामर्श आउटरीच के लिए रू 0.5 लाख एवं यात्रा संगोष्ठी के लिए रू 1.00 लाख की आवश्यकता होगा अर्थात् कुल रू ० 116.50 लाख का व्ययभार अनुमानित है । अतः सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय , वाराणसी में मुफ्त ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण के उच्च अध्ययन केन्द्र की स्थापना के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल रू 116.50 लाख ( रू 0 एक करोड़ सोलह लाख पचास हजार मात्र ) बजट स्वीकृत हुआ।
ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण व शास्त्र प्रशिक्षण को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय बना नोडल केंद्र
कुलपति प्रो त्रिपाठी ने बताया कि कल अपरांह 12:30 बजे ऑनलाइन 32 कुलपतियों के साथ बैठक में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग ने ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण एवं शास्त्र प्रशिक्षण के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय,वाराणसी को नोडल केंद्र बनाया गया है। इसमें सभी कुलपति सहयोग कर अपने यहां के विद्यार्थियों को उक्त पाठ्यक्रमो मे ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए प्रेरित कर पंजीकरण कराएंगे। साथ ही समुचित सहयोग देंगे। कुलपति प्रो त्रिपाठी ने सभी कुलपतियों से विद्यार्थियों को संस्कृत शास्त्रों को पढने के लिए भी आग्रह किया।
Published on:
15 Jul 2022 07:53 pm
बड़ी खबरें
View Allवाराणसी
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
