
सीेएम योगी और कुलदीप सेंगर
वाराणसी. एक तरफ पूरा प्रदेश उन्नाव प्रकरण पर उद्वेलित है। समूचा विपक्ष आंदोलित है। हर गली हर चौराहे पर एक ही चर्चा है, साल भर पुराने रेप मामले में आरोपी भाजपा विधायक की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही। आरोपी को क्यों बचाया जा रहा। सूबे में एनकाउंटर से अपराधियों को मार गिराने की रणनीति को अमली जामा पहनाने वाले सीएम योगी आखिर क्यों इस मामले में चुप्पी साधे हैं। विपक्ष का कहना है कि आरोपी कोई और पुलिस गिरफ्तार करती है पीड़ित के पिता को, क्यों? इतना ही नहीं आरोप यह भी कि पिता को पुलिस कस्टडी में इतना मारा जाता है कि उसकी जान चली जाती है। विपक्ष और आमजन के शोर मचाने पर हाईकोर्ट खुद इस मामले को संज्ञान लेता है तो सीबीआई जांच की बात होने लगती है और तर्क दिया जाता है कि सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। आखिर वजह क्या है। अब तो आरोप यह भी लगने लगे हैं कि कहीं इसके पीछे विधानपरिषद चुनाव तो नहीं। योगी को कहीं ऐसा तो नहीं लग रहा कि कुलदीप सेंगर अगर गिरफ्तार हो जाते हैं तो राज्यसभा चुनाव में जैसे बसपा विधायक मोख्तार अंसारी वोट नहीं दे पाए वैसे ही विधानपरिषद चुनाव में सेंगर का वोट पार्टी को नहीं मिल पाएगा।
इतना ही नहीं आरोप यह भी हैं कि सीएम के लिए प्रदेश की बेटियों की आबरू से कहीं ज्यादा वोट की राजनीति महत्व रखती है। तभी तो वह जाति विशेष को तवज्जो देने रहे हैं। विधायक या सांसद चाहे जिस पार्टी का हो अगर वह क्षत्रिय है तो सीएम के गुडविल का होगा। यह आरोप कांग्रेस, आम आदमी पार्टी दोनों ही तरफ से लग रहे हैं। दोनों ही पार्टी के नेता अपने आरोप की पुष्टि के लिए राज्यसभा चुनाव का उदाहरण दे रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ राजेश मिश्र ने तो पत्रिका से बातचीत में सीएम योगी पर खुलेआम जातिवादी राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो भी एनकाउंटर हो रहे हैं उसमें भी जाति विशेष के लोगों को बख्श दिया जा रहा है। डॉ मिश्र सवाल करते हैं कि क्या प्रदेश में गैर क्षत्रिय ही अपराधी हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए वह इन आरोपों की तस्दीक भी करते हैं कि कहीं न कहीं यह विधानपरिषद चुनावों के मद्देनजर ही भाजपा विधायक सेंगर की गिरफ्तारी नहीं हो रही। वहीं आम आदमी पार्टी के पूर्वांचल संयोजक संजीव सिंह भी डॉ मिश्र की बातों से इत्तिफाक रखते हैं।
बता दें कि मई में विधानपरिषद के चुनाव होने हैं और इस चुनाव के लिए भी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा सहित समूचा विपक्ष एकजुट है और वे राज्यसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेने के लिए मन बना चुके हैं। ऐसे में भाजपा और सीएम योगी को यह डर सता रहा है कि अगर समूचा विपक्ष एकजुट हो गया तो फूलपुर और गोरखपुर संसदीय उपचुनाव जैसे परिणाम न आ जाएं। इससे जहां सीएम की किरकिरी होगी तो वहीं 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए भी यह बड़ा झटका होगा। लिहाजा सीएम योगी एक-एक वोट सहेजने में लगे हैं। वपक्षी नेताओं का आरोप है कि यह एक बड़ी वजह जिसके चलते सेंगर की गिरफ्तारी से सरकार बच रही है। लेकिन यह बेहद शर्मनाक राजनीति का उदाहरण है।
Published on:
12 Apr 2018 03:26 pm
बड़ी खबरें
View Allवाराणसी
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
