
राजेश मिश्र
वाराणसी. कांग्रेस ने बीजेपी और महापौर पर बढावा देने का आरोप लगाया है। कहा है कि भ्रष्टाचार और घपला-घोटाला को छिपाने के लिए ही बीजेपी नगर निगम कार्यकारिणी चुनाव को टालने में जुटी है। आरोप है कि बीजेपी को डर है कि नगर निगम कार्यकारिणी में विपक्ष का बहुमत होने की सूरत में बीजेपी के भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाएगा लिहाजा चुनाव ही न कराया जाए। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष व वाराणसी के पूर्व सांसद डॉ राजेश मिश्र ने गुरुवार को यह जानकारी मीडिया को दी। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि शहर में चल रही अधिकांश योजनाओं की नोडल एजेंसी नगर निगम ही है और निगम वर्मान परिप्रेक्ष्य में आकंठ भ्रष्टाचार, घपला-घोटाला में डूबा है। इन्हीं के मनमानेपन से पिछले चार साल से आम आदमी ऊबड़-खाबड़ सड़कों व गलियों, गंदगी और पेयजल के नाम पर सीवर युक्त पानी पीने को मजबूर है। लोग हड्डी और गला रोग (स्पाइनल डिजिज) से ग्रस्त हो रहे हैं ये है वाराणसी का विकास। अब इस पर कोई सवाल न उठाए, इसका हकीकत न जान पाए उसे छिपाने में जुट गई है पूरी भाजपा और मेयर। डॉ मिश्र ने उस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष मजिस्ट्रेटियर जांच की मांग की।
उन्होंने कहा कि अगर नगर निगम कार्यकारिणी का चुनाव होता है तो वाराणसी के विकास का सच सबके सामने होगा। कार्यकारिणी समिति होने की सूरत में मेयर व नगर निगम प्रशासन को सभी योजनाओं एवं कार्यक्रमों को कार्यकारिणी के समक्ष रखना होगा। यही बीजेपी नहीं होने देना चाहती है। इसी डर से वह चुनाव से भाग रही है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर आईपीडीएस, नमामि गंगे, स्वच्छता अभियान, उपलब्ध संसाधन एवं सड़क-गलियों का निर्माण, स्ट्रीट लाइट, हृदय योजना, जल एवं सीवर पर खर्च का कोई हिसाब किताब नहीं है। ऐसे में अगर कार्यकारिणी होगी तो वह तो इन यजनाओं पर सवाल कर सकती है, लिहाजा ऐसी कार्यकारिणी को गठित नहीं होने देना है।
डॉ मिश्र ने आरोप लगाया कि भाजपा आम जनता को गुमराह कर रही है कि विपक्ष केवल पद व प्रतिष्ठा पाने के लिए कार्यकारिणी चुनाव कराना चाहता है। लेकिन हकीकत यह है कि बिना कार्यकारिणी शहर के विकास का बजट तक स्वीकृत नहीं हो सकता। बजट मिनी सदन के राय के बिना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा मनमानेपन पर उतारू है और सत्ताबल का दबाव बना कर लोकतांत्रिक ढग से चुनी गई मिनी सदन के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव कर रही है। उन्होंने कहा कि सदन संचालन की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन के माध्यम से मेयर की है। सदन के अंदर व बाहर जो घटना घटी वह दुर्भाग्यपूर्ण व अशोभनीय है। इससे सदन की मर्यादा घटी है। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। लेकिन घटित घटना से कुछ सवाल भी खड़े होते है जिसका जवाब मेयर को आमजन के समक्ष देना चाहिए। वह बताएं कि सदन में बाहरी तत्व कैसे आए, हंगामे के दौरान सदन के सुरक्षा गार्ड क्या कर रहे थे, सदन चलाने की जानकारी यदि पुलिस प्रशासन को थी तो सुरक्षा प्रबंध में घोर लापरवाही क्यों और किसके इशारे पर बरती गई। उन्होंने कहा कि ये सवाल ही सुनियोजित साजिश का स्पस्ट संकेत देते हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा किसी कीमत पर कार्यकारिणी चुनाव नहीं कराना चाहती है, क्योंकि वह अपनी संख्याबल के आधार पर अच्छी तरह से वाकिफ है कि बिना खरीद फरोख्त व सरकारी दबाव के कार्यकारिणी में उनका बहुमत नहीं हो सकता। पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि घटित घटना से प्रथम द्रष्ट्या मेयर और नगर निगम प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार व दोषी है। लेकिन जनता को गुमराह करने के लिए भाजपा के इशारे पर कांग्रेस, सपा और निर्दल पार्षदों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई। उन्होंने मेयर को शहर की प्रथम नागरिक का कर्तव्य निभाने की सलाह दी और कहा कि वह भाजपा का मुखौटा व कठपुतली नहीं सभी पार्षदों के मशविरे से सदन संचालित करें। कहा कि पिछले शनिवार की घटना को टाला जा सकता था। बशर्ते मेयर सभी पार्षदों के साथ विचार विमर्श कर कोई निर्णय लेतीं।
Published on:
29 Mar 2018 05:00 pm
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