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सिपाही विनोद कुमार यादव की नौ साल की मेहनत लायी रंग, बने असिस्टेंट प्रोफेसर

ड्यूटी में समय निकाल कर पास की नेट जेआरएसफ की परीक्षा, फिर असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुआ चयन

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Constable Vinod Kumar Yadav

Constable Vinod Kumar Yadav

वाराणसी. रोहनिया थाने में तैनात आरक्षी विनोद कुमार यादव की नौ साल की मेहनत रंग लायी और उनका चयन असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए हो गया। पुलिस की सख्त ड्यूटी में भी समय निकाल कर विनोद ने पढ़ाई की और सफलता का नया मुकाम पाया। आरक्षी ने साबित कर दिया कि यदि सच्ची लगन व हौसला हो तो कोई भी लक्ष्य पाया जा सकता है।
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प्रयागराज निवासी किसान राम कैलाश यादव के तीन बेटे और दो बेटी हैं। विनोद सबसे बड़े हैं। विनोद ने घर की स्थिति को मजबूत करने के लिए जमकर पढ़ाई की थी। वर्ष 2011 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एमए करने के बाद सिपाही पद पर भर्ती हो गयी थी। उस समय विनोद को लगा कि एक नौकरी मिल गयी है जिससे स्थिति में सुधार हुआ है। इसके बाद विनोद ने आरक्षी पद पर ज्वाइन कर लिया। विनोद बड़ी नौकरी करना चाहता था और वह शिक्षा के क्षेत्र में बढऩा चाहता था। आरक्षी ने कभी सब इंस्पेक्टर की भी परीक्षा नहीं दी थी क्योंकि उसका सपना विश्वविद्यालय में पढ़ाने का था इसलिए पुलिस की सख्त ड्यूटी के बाद भी विनोद ने पढ़ाई जारी रखी। विनोद ने वर्ष 2015 में नेट जेआरएफ की परीक्षा पास की। ऐसा नहीं था कि विनोद को हमेशा ही सफलता मिलती रही। शिक्षक भर्ती की भी परीक्षा दी थी लेकिन वह रिटेन क्वालीफाई नहीं कर पाया। इसके बाद भी विनोद ने हिम्मत नहीं हारी। विनोद का साथ उसके पिता रामकैलाश यादव व माता शीला देवी देती रही। जिससे उनके बेटे का हौसला कभी टूटा नहीं। पांच जनवरी 2019 को विनोद ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद की परीक्षा दी थी और 27 नवम्बर को उनका इंटरव्यू हुआ था। इसके बाद रिजल्ट निकला तो विनोद का सपना पूरा हो चुका था क्योंकि उनका चयन असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए हो गया था। विनोद ने कहा कि पुलिस की ड्यूटी काफी चुनौतीपूर्ण होती है। ड्यूटी के साथ पढ़ाई करना बहुत कठिन होता है इसके बाद भी मैंने मेहनत करना जारी रखा और अपना सपना पूरा किया।
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एसएसपी प्रभाकर चौधरी करेंगे सम्मानित, दो भाई के पढ़ाई की जिम्मेदारी विनोद ने उठायी है
विनोद का असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन हो जाने से पुलिस महकमा बेहद खुश है। एसएसपी प्रभाकर चौधरी को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने आरक्षी को सम्मानित करने को कहा है। विनोद अपने भाईयों को भी पढ़ा कर आगे ले जाना चाहते हैं। उनके छोटे भाई संजय यादव व विवेक यादव की पढ़ाई की जिम्मेदारी विनोद उठा रहे हैं उन्हें विश्वास है कि उनके भाई भी पढ़ कर अच्छी नौकरी करेंगे।
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