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Navratri 2023: शारदीय नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, अलईपुर में है अतिप्राचीन मंदिर

Navratri 2023: वाराणसी में माता शैलपुत्री देवी का मंदिर वरुणा नदी के तट पर अलईपुर में स्थित है। यहां देर रात से कतारबद्ध श्रद्धालु माता का दर्शन कर रहे हैं।

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Navratri 2023: शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन भक्तों का रेला माता शैलपुत्री देवी के दरबार में उमड़ा है। धर्म की नगरी काशी में माता का अति प्राचीन मंदिर वरुणा नदी के तट पर अलईपुर में स्थित है। मां सौम्य रूप में यहां विराजमान हैं। भक्त उनकी एक झलक पाने के लिए देर रात से ही कतारबद्ध हैं। मंगला आरती के बाद जैसे ही मंदिर के कपाट खुले पूरा मंदिर परिसर माता के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है। वाराणसी पुलिस के महिला और पुरुष जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं।

सुहागिने लम्बी उम्र की करती हैं प्रार्थना

माता शैलपुत्री का यह मंदिर सिटी रेलवे स्टेशन से महज चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचना आसान है। मंदिर के पुजारी के अनुसार माता यहां स्वयं विराजमान हैं। माता नवरात्रि में भक्तों यहां साक्षात् दर्शन देती हैं। यहां सुहागिन महिलाएं यहां अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने आती हैं और माता को चुनरी और गुड़हल का फूल अर्पित करती हैं। इसके अलावा लाल फूल और नारियल लेकर आते हैं और महाआरती में शामिल होकर दांपत्य जीवन की सभी परेशानियों को दूर करने की कामना करते हैं

शैल राज हिमालय ने कराया था मंदिर का निर्माण

काशी के इस अतिप्राचीन माता मंदिर के बारे में बात करते हुए मंदिर के पुजारी जीत कुमार तिवारी ने बताया कि माता शैलपुत्री का दर्शन करने से जो भी मन में मनोकामना रहती है सभी पूर्ण होती है। काशी खंड में इस मंदिर का वर्णन है। इस मंदिर का निर्माण शैल राज हिमालय ने इसका निर्माण कराया था। उन्होएँ बताया कि जब बाबा भोलेनाथ माता शैलपुत्री से विवाह कर काशी लेकर आये तो हिमलाय को यह लगा कि शिव अड़भंगी हैं पता नहीं उनके पास क्या होगा और वो काशी पहुंच गए।

सोने की काशी देख हुई ग्लानि

हिमालय राज काशी पहुंचे तो उन्हें सोने की काशी देख ग्लानि हुई और वो वरुणातट पर विश्राम बैठ गए और उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण कराया। एक दिन में मंदिर बनवाकर वो चले गए पर भगवान् शिव के गणों ने उन्हें सूचना दी तो वो माता शैलपुत्री के साथ इस मंदिर को देखने आए और तभी से माता शैलपुत्री का यहां वास हो गया।